जवाहिरी के बाद अल कायदा की कमान संभाल सकता है सैफ अल-आदेल, 29 साल से पीछे पड़ा है अमेरिका
अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि उसने अल कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सेना ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में ड्रोन हमले में जवाहिरी को मार गिराया। 2011 में इसके संस्थापक ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से यह आतंकवादी समूह के लिए सबसे बड़ा झटका है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक टेलीविजन संबोधन में कहा, ‘‘न्याय हुआ और यह आतंकवादी मारा गया।’’ अमेरिका पर 9/11 को हुए हमलों की साजिश अल-जवाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी।
सैफ अल-आदेल हो सकता है अल कायदा का अगला चीफ
2011 में बिन लादेन के मारे जाने के बाद से जवाहिरी अल कायदा का उत्तराधिकारी बना और तब से इसका आतंकी संगठन का नेतृत्व कर रहा था। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या जवाहिरी की हत्या के बाद आतंकी समूह खत्म हो जाएगा या फिर से कोई इसकी कमान संभालने के लिए आगे आएगा? एक नाम है जो जवाहिरी की जगह ले सकता है। यह है सैफ अल-आदेल (Saif al-Adel)।
कौन है सैफ अल-आदेल?
मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के अनुसार, सैफ अल-आदेल जवाहिरी का उत्तराधिकारी बनने की कतार में सबसे आगे खड़ा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आदेल मिस्र की सेना का पूर्व अधिकारी है। वह अल कायदा का संस्थापक सदस्य है। आदेल 1980 के दशक में अल कायदा के पूर्ववर्ती आतंकी समूह मकतब अल-खिदमत में शामिल हुआ था। इसी दौरान वह ओसामा बिन लादेन और अयमान अल-जवाहिरी से मिला। इनके साथ मिलकर आदेल उनके एक अन्य आतंकी समूह मिस्र इस्लामी जिहाद (ईआईजे) में शामिल हो गया। उसने 1980 के दशक में अफगानिस्तान में रूसी सेना से भी लड़ाई लड़ी थी।
ओसामा का सुरक्षा प्रमुख रह चुका है आदेल
सैफ अल-आदेल कभी ओसामा बिन लादेन का सुरक्षा प्रमुख भी था। 2001 से वह एफबीआई की मोस्ट वांटेड लिस्ट में हैं, और उसके बारे में जानकारी देने वाले के लिए 10 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा गया है। अल-आदेल को लेकर अमेरिकी एजेंसी का कहना है कि उसे "अमेरिका के नागरिकों को मारने, हत्या करने" के चलते मोस्ट वांटेड की लिस्ट में रखा गया है।
"ब्लैक हॉक डाउन" के बाद से आदेल की तलाश में है अमेरिका
एबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना 1993 से सैफ अल-आदेल की तलाश कर रही है। दरअसल 29 साल पहले सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में अमेरिकी सेना ने हेलीकॉप्टरों से घात लगाकर हमले किए थे। इस घटना को "ब्लैक हॉक डाउन" के नाम से जाना जाता है जिसमें 18 अमेरिकी मरे थे। उस समय अल-आदेल 30 वर्ष का था। अक्टूबर 1993 में, अमेरिकी सैनिकों ने सोमाली राजधानी मोगादिशु में विनाशकारी छापेमारी की थी।
उनका उद्देश्य ताकतवर सोमाली सरदार, जनरल मोहम्मद फराह एडेड के प्रमुख सहयोगियों को पकड़ना था। लेकिन अमेरिकी सेना को एडेड की मिलिशिया सेना से भयंकर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। दो अमेरिकी ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया जिनमें कई अमेरिकी मारे गए थे। कई समाचार आउटलेट्स का कहना है कि ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद से अल-आदेल एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार के रूप में उभरा है। हालांकि, मिडिल ईस्ट इंस्टिट्यूट ने कहा है कि ईरान में उसकी उपस्थिति के कारण उसे आतंकवादी समूह का प्रमुख बनाना जटिल होगा। वह "ब्लैक हॉक डाउन" घटना के बाद से ईरान में ही रह रहा है।