November 27, 2024

सरकार के तीन साल, कृषि क्षेत्र में बेमिसाल

0

· कमल पटेल

भोपाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का गौरव-गान वैश्विक स्तर पर हो रहा है। देश के सशक्तिकरण में मध्यप्रदेश भी पूरी ताकत से सशक्त भारत के सपने को साकार करने के लगा है। विगत तीन वर्षों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश के किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये सतत प्रयास हुए। चना, मसूर एवं सरसों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन गेहूँ के साथ करने के निर्णय से ही किसानों को हजारों करोड़ रूपये का अतिरिक्त लाभ हुआ है। प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर पुरस्कार प्राप्त करने का भी रिकॉर्ड भी कायम किया है। कृषकों के परिश्रम से सिंचित हमारा प्रदेश नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। सरकार किसानों को फसल का अधिकतम समर्थन मूल्य (एमआरपी) दिलाने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है।

वर्तमान सरकार ने अप्रैल 2020 से किसानों को लाभान्वित करने के लिये गेहूँ से पहले चना, मसूर एवं सरसों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन करने का अभूतपूर्व निर्णय लिया, पूर्व में इनका उपार्जन गेंहूँ के बाद होता था। सरकार के निर्णय से किसानों को उनकी उपज का सीधे-सीधे एक से 2 हजार रूपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त लाभ हुआ। अब किसान चना, मसूर एवं सरसों की फसल को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर नहीं हैं। व्यापारियों को अपने उद्योगों के लिए चना, मसूर, सरसों की उपज को समर्थन मूल्य से अधिक पर खरीदना पड़ा, इसका लाभ सीधा किसानों को मिला। प्रदेश के किसानों को चना, मसूर, सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग के विक्रय से पिछले तीन वर्षों से प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक की अतिरिक्त आय हो रही है। इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग समर्थन मूल्य पर 7755 रूपये प्रति क्विंटल खरीदा जायेगा। इससे किसानों को और अधिक अतिरिक्त आय होगी। पहले किसान कम कीमत में मूंग बेचने को मजबूर था, अब नहीं। किसान भारतीय अर्थ-व्यवस्था की मजबूत कड़ी है। हम किसानों को और अधिक ताकत प्रदान कर सशक्त बनाने की दिशा में हर संभव कार्य कर रहे हैं।

राज्य सरकार ने किसानों के हित में दिल्ली तक प्रयास कर समर्थन मूल्य पर प्रतिदिन, प्रति किसान 25 क्विंटल गेहूँ उपार्जन की सीमा को खत्म कराया। साथ ही चना, मसूर और सरसों की प्रतिदिन उपार्जन की सीमा को 25 क्विंटल से बढ़ा कर 40 क्विंटल कराया। चने का उपार्जन 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सरसों का 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़ा कर समान रूप से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर किया गया। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रदेश के किसानों के हित में निर्णय लेते हुए आवश्यक मंजूरियाँ प्रदान की। इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ ही एक से अधिक बार उपज विक्रय के लिये ले जाने की परेशानी से मुक्ति मिली है।

प्रदेश के किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिये विगत 3 साल में समग्र प्रयास किये गये। राज्य सरकार, प्रदेश की समृद्धि के लिये किसानों को समृद्ध करने के निरन्तर प्रयास कर रही है, क्योंकि जब किसान समृद्ध होगा, तभी गाँव समृद्ध होगा और गाँव समृद्ध होगा, तो प्रदेश समृद्ध होगा। प्रदेश की समृद्धि में ही देश की समृद्धि निहित है। किसान पुत्रों को किसानी के साथ उद्योगपति बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों को उपज की ग्रेडिंग, सार्टिंग और मॉर्केटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराने को सरकार प्रतिबद्ध है। किसान अपनी कृषि उपज से संबंधी उद्योग लगायें एवं अन्य उत्पाद तैयार कर और अधिक दाम प्राप्त करें।

मध्यप्रदेश, वर्ष 2023 मण्डी बोर्ड का गोल्डन जुबली वर्ष मना रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में मण्डी बोर्ड ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए सर्वाधिक 1681 करोड़ रूपये की आय अर्जित की है। प्रदेश की 14 मण्डियों को हाईटेक बनाया जा रहा है। प्रदेश की सभी 259 मंडियों में आवश्यकतानुसार अधो-संरचनात्मक विकास कार्य किये जा रहे है। देश में मध्यप्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने एक एण्ड्रायड बेस्ड एप्लीकेशन "एमपी फार्म गेट एप'' से किसानों को अपने दाम पर, अपने घर, खलिहान एवं गोदाम से अपनी कृषि उपज को कहीं भी बेचने में सक्षम बनाया है। फार्म गेट एप का उपयोग कर 12 हजार 22 किसानों ने 50 लाख क्विंटल विभिन्न कृषि उपज बेची है। फार्म गेट एप की कार्य-प्रणाली को केन्द्र सरकार से भी बहुत सराहना मिली है।

किसानों को लाभान्वित करने के लिये सरकार ने इन 3 सालों में समग्र प्रयास किये हैं। सरकार ने मंडियों की कार्य-प्रणाली को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिये ई-अनुज्ञा प्रणाली को लागू किया है। अब कृषि उपज के परिवहन के लिये गेट पास स्वयं व्यापारी बना सकता है। प्रदेश में 58 हजार से अधिक व्यापारियों द्वारा 61 लाख 90 हजार 208 अनुज्ञा-पत्र जारी किये गये हैं। वर्तमान सरकार में कृषि मंत्री बनने के बाद कृषि विभाग में समस्त कार्यालयीन, पत्राचार एवं सूचना संबंधी कार्यों को हिन्दी भाषा में किये जाने के आदेश जारी हुए। किसान भाइयों की विभाग से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिये किसानों का सच्चा साथी "कमल सुविधा केन्द्र'' की स्थापना (दूरभाष क्रमांक : 0755-2558823) की गई। विशेष प्रयास कर मध्यप्रदेश में एपीडा का क्षेत्रीय कार्यालय खुलवाया, जिससे बालाघाट के चिन्नौर राइस (चावल) और सीहोर के शरबती गेहूँ को जीआई टैग दिलाने में मदद मिली।

प्रदेश में कृषि आधुनिकीकरण के नये आयाम स्थापित हुए है। प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, फसल विविधिकरण के लिये किसानों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। हजारों की संख्या में कृषि उत्पादक समूह (एफपीओ) गठित किये जा रहे है। प्राकृतिक खेती के विस्तार एवं संवर्धन के लिए कृत-संकल्पित सरकार ने “मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड’’ का गठन किया। राज्य के प्राकृतिक खेती के लिए 72 हजार 967 किसानों का पोर्टल पर पंजीयन किया गया है।

पिछले तीन वर्षों में प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए सरकार ने क्रांतिकारी निर्णय लिये। अधिसूचित फसल क्षेत्र के 100 हेक्टेयर के मापदण्ड बदल कर 50 हेक्टेयर किया गया। वन ग्रामों, जिनके किसानों को बीमा योजना का लाभ नहीं मिलता था, उन्हें लाभान्वित करने के लिये पटवारी हल्कों में शामिल करवाया। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में स्केल ऑफ फायनेंस 75 प्रतिशत को बढ़ा कर 100 प्रतिशत किया। किसानों के हित में फसल बीमा की अंतिम तिथि में दो बार वृद्धि करवाई। इतना ही नहीं शासकीय अवकाश दिवसों में भी पहली बार बैंक खुलवा कर बीमा करवाया। भारत सरकार के बीमा पोर्टल को विशेष अनुमति लेकर खुलवाया और छूटे हुए किसानों की प्रविष्टि करवा कर 450 करोड़ रूपये का अतिरिक्त फसल बीमा क्लेम किसानों को दिलाया। सरकार ने बकाया प्रीमियम जमा किया एवं वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 खरीफ तक की कुल 17 हजार 140 करोड़ रूपये की फसल बीमा दावा राशि किसानों को दिलवायी।

किसानों के हित में विगत तीन वर्षों में प्राकृतिक खेती प्रोत्साहन योजना, एक जिला-एक उत्पाद योजना, जीआई टैग के लिये राज्य योजना, फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना, कृषि अधो-संरचना निधि संचालन योजना, निर्यात प्रोत्साहन योजना, राज्य मिलेट मिशन, एफपीओ गठन एवं संवर्धन योजना, मुख्यमंत्री नरवाई प्रबंधन योजना और कौशल विकास प्रशिक्षण जैसी नवीन योजनाओं को शुरू किया। कृषि विभाग में विभिन्न संवर्ग के रिक्त पदों की पूर्ति के लिये अभियान चला कर लगभग 4 हजार पदों पर भर्ती की जा रही है। प्रदेश की कृषि उपज मण्डियों में कार्यरत रहते हुए काल के गाल में समा जाने वाले 181 अधिकारी-कर्मचारियों के आश्रितों को विभिन्न पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का महती कार्य किया गया।

राज्य सरकार ने कृषि एवं सहायक गतिविधियों के लिए पृथक से कृषि बजट का प्रावधान किया। वित्तीय वर्ष 2023-24 के कृषि बजट में 53 हजार 964 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। इसमें किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के लिये 16 हजार 996 करोड़ रूपये का प्रावधान है। कृषक उन्मुखी योजना “आत्मा’’ का बजट दोगुना कर 2 हजार करोड़ 94 लाख रूपये किया गया है। सरकार ने मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना में उल्लेखनीय 3 हजार 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है।

प्रदेश को विगत 3 सालों में किये गये किसान हितैषी कार्य एवं प्रदेश में कृषि क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिये कई पुरस्कार मिले। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल पर लैण्ड रिकार्ड का इंटीग्रेशन करने पर भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में एक्सीलेंस अवार्ड से प्रदेश को सम्मानित किया गया है। कृषि अधो-संरचना निधि (एआईएफ) के सर्वाधिक उपयोग हेतु “बेस्ट परफार्मिंग स्टेट’’ (उत्कृष्ट प्रदर्शनकर्ता राज्य) का राष्ट्रीय पुरस्कार और मिलेट मिशन योजना में “बेस्ट इमर्जिंग स्टेट’’ (उभरता हुआ सर्वोत्तम राज्य) का पुरस्कार भी मिला है। गेहूँ निर्यात के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अव्वल स्थान पर है। दलहनी फसलों के उत्पादन में प्रदेश, देश में प्रथम, खाद्यान्न उत्पादन में द्वितीय एवं तिलहनी फसलों में तृतीय स्थान पर है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में गुड-गवर्नेंस इण्डेक्स में हमारे राज्य का पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *