जूठी पत्तलों से भुज Swaminarayan Mandir में बनेगा 200 टन से अधिक खाद
कच्छ
भुज स्वामीनारायण मंदिर में 200 साल का जश्न जितना भव्य हो रहा है, उतना ही आदर्श भी. नौ दिन चलने वाले इस समारोह में पर्यावरण के लिए की जा रही एक पहल की हर तरफ चर्चा है. इस भव्य उत्सव में शामिल होने के लिए देश भर से लाखों की तादाद में लोग पहुंचे हैं, तो आप समझ सकते हैं कि खाने-पीने से कितना कचरा निकल रहा होगा. लेकिन बड़ी बात यह है कि यह कचरा इको फ्रेंडली है, जिससे बड़े पैमाने पर खाद बनेगी और फिर पर्यावरण के ही काम आएगी.
नरनारायण देव की मूर्ति पूजा के 200 साल पूरे होने के उत्सव में देश भर से अब तक 17 लाख से ज्यादा लोग यहां भोजन कर चुके हैं. प्लास्टिक और कागज की प्लेटों से पर्यावरण को नुकसान न हो इसलिए भुज मंदिर के महंत स्वामी धर्मानंददासजी ने पुराने जमाने में इस्तेमाल होने वाली पत्तों की थालियों का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी. इस पर अमल करते हुए लाखों की भीड़ से होने वाले कचरे को नियंत्रित किया गया है. अब देखिए कैसे रिसाइकलिंग का पूरा काम हो रहा है.
- रोजाना दो लाख से अधिक प्लेटों की खपत हो रही है.
- पत्तों से बनी प्लेटों को केरा गांव की एक कंपनी रिसाइकिल कर रही है.
- यहां दिन में दो बार इस्तेमाल की गई प्लेटों का ट्रक लोड कर रिसाइकिल प्लांट पहुंचाया जाता है.
- खाद बनाने की योजना चला रहे गोरसिया परिवार के अनुसार जमीन में आठ फुट के गड्ढे खोदे गए हैं.
- पत्तों की प्लेटों और कटोरियां को इनमें डालकर पानी डाला जाता है.
- बाद में कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया डाले जाते हैं.
इस पूरी प्रक्रिया से अनुमान है कि महोत्सव के अंत तक पूरा कचरा एकत्र होने के बाद गड्ढे भर जाएंगे और दो महीने में 200 टन से अधिक खाद तैयार हो जाएगी. कचरे की थालियों से तैयार खाद का उपयोग परिवार खुद खेती के लिए करेगा.