आजादी का गुमनाम नायक, जो जंगल में अंग्रेजों के लिए बने थे सिरदर्द; PM कर चुके हैं तारीफ
नई दिल्ली
सात मई 1924… यह वह तारीख है, जिस दिन दक्षिण भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की अंग्रेजों ने बेरहमी से हत्या कर दी। राजू ने अपना पूरा जीवन जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। लोग उन्हें 'जंगल का नायक' कहते हैं। हर साल आंध्र प्रदेश सरकार उनकी जन्म तिथि चार जुलाई को राज्य उत्सव के रूप में मनाती है।
अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?
अल्लूरी सीताराम राजू एक संन्यासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म चार जुलाई 1897 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में हुआ था। उनके पिता का नाम वेंकटराम राजू था। उनका बचपन अंग्रेजों का अत्याचार सहते हुए बीता। बड़े होने पर उन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने 1922 से लेकर 1924 तक चले राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया।
18 साल की उम्र में बने संन्यासी
सीताराम राजू 18 साल की उम्र में संन्यासी बन गए। उन्हें जंगली जानवरों को वश में करने की क्षमता हासिल थी। इसके अलावा, उन्हें ज्योतिष और चिकित्सा का भी ज्ञान था। यही वजह है कि पहाड़ी और आदिवासी लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हुए।
अल्लूरी सीताराम राजू क्यों प्रसिद्ध हैं?
अल्लूरी सीताराम राजू अंग्रेजों के खिलाफ राम्पा विद्रोह करने के लिए प्रसिद्ध हैं। अंग्रेजों ने 1982 में मद्रास वन अधिनियम को लागू कर दिया। इस अधिनियम के लागू होने से स्थानीय आदिवासियों के जंगल जाने पर प्रतिबंध लग गया। अभी तक वे खेती करने के लिए जमीन का इंतजाम जंगलों को जला कर करते थे, जिसे पोडु कहा जाता था। राजू बचपन से अंग्रेजों के जुल्म की कहानी सुनते आ रहे थे। इसलिए उन्होंने 25 साल की उम्र में 1922 में रम्पा विद्रोह शुरू कर दिया।