November 15, 2024

अरब लीग में 12 सालों के बाद लौटा सीरिया, बसर अल असद के ‘गुनाहों’ को माफ करने को तैयार प्रिंस सलमान

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सीरिया  
सऊदी अरब के प्रभाव वाले अरब लीग में 12 सालों के बाद सीरिया की वापसी हो गई है और अरब लीग के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने 10 साल से ज्यादा समय पहले सीरिया के निलंबन के बाद, इसकी सदस्यता को फिर से बहाल करने पर सहमति जता दी है। सीरिया को अरब लीग में फिर से शामिल करने को लेकर अरब लीग के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने रविवार को काहिरा में, अरब लीग के मुख्यालय में मतदान किया, जिसमें बहुमत से सीरिया की वापसी पर मुहर लगा दी गई।

होने वाला है अरब लीग सम्मेलन

अरब लीग शिखर सम्मेलन 19 मई को सऊदी अरब में होने वाला है और माना जा रहा है, कि सीरिया को इसमें काफी हड़बड़ाहट के साथ सम्मेलन से पहले शामिल कर लिया गया है। हाल के हफ्तों में दमिश्क के साथ तेजी से संबंध सुधारने की कोशिश की गई है।

आपको बता दें, कि साल 2011 में सीरिया को उस वक्त अरब लीग से बाहर कर दिया गया था, जब सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने मार्च 2011 में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। राष्ट्रपति असद के इस फैसले के बाद सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हो गया और करीब 5 लाख लोग मारे गये और करीब सवा 2 करोड़ लोग विस्थापित होने पर मजबूर हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, सीरिया को शामिल करने को लेकर मिस्र की राजधानी काहिरा में अरब लीग के सदस्य देशों के बीच एक बैठक हुई थी।

वहीं, एसोसिएटेड प्रेस समाचार एजेंसी के मुताबिक, बैठक में जॉर्डन के शीर्ष राजनयिक ने कहा, कि जैसा कि अल-असद ने सीरियाई क्षेत्र पर अपने नियंत्रण को मजबूत किया है, अरब राज्य संकट को हल करने में "अरब के नेतृत्व वाले राजनीतिक रास्ते" की दिशा में काम करते हुए संबंधों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं।

सीरिया को अरब लीग में लाने की इस प्रक्रिया को "जॉर्डन पहल" करार दिया गया है। अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेत ने रविवार को कहा, कि राष्ट्रपति अल-असद इस महीने के अंत में "अगर वह चाहें तो" अरब लीग शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं।

वहीं, इस सवाल के जवाब में, कि क्या अल-असद सऊदी अरब में शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं, अबुल घेत ने काहिरा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, कि "यदि वह चाहें, क्योंकि आज शाम से सीरिया, अरब लीग का पूर्ण सदस्य बन गया है, और कल सुबह से उन्हें किसी भी सीट पर कब्जा करने का अधिकार है"।

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