जोशीमठ के बाद नैनीताल में पड़ीं दरारें, टिफिन टॉप पर्यटकों के लिए बंद; बस स्टैंड के बाद तीसरे टूरिस्ट स्पॉट पर आवाजाही रोकी
जोशीमठ
उत्तराखंड के शहरों में दरारें पड़ने का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। चमोली जिले के जोशीमठ के बाद अब नैनीताल जिले में दरारें पड़ गईं हैं। दरारें पड़ने के बाद लोगाें की चिंता भी बढ़ गई है। नैनीताल के टिफिन टॉप में दरारें पड़ने के बाद जिला प्रशासन की टीम ने दौरा किया। दिल्ली-एनसीआर, यूपी सहित देश के अन्य राज्यों के पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए टिफिन टॉप पर आवाजाही बंद कर दी गई है।
व्यू प्वाइंट पर भूस्खलन के खतरे को देखते हुए डीएम ने यह निर्णय लिया है। इससे पहले भूस्खलन के खतरे के कारण बैंड स्टैंड भी पर्यटकों के लिए बंद किया जा चुका है। नैनीताल चारों ओर से भूस्खलन के खतरे से जूझ रहा है। इस कड़ी में नया नाम टिफिन टॉप का जुड़ गया है।
डीएम धीराज गब्र्याल ने टिफिन टॉप का निरीक्षण किया। पूर्व में गठित सर्वे समिति की रिपोर्ट के अनुसार यहां के व्यू प्वाइंट के आसपास दरारें आ रही हैं। जांच में पता चला है कि उत्तरी और दक्षिणी छोर पर पड़ी दरारें कार्बोनेट चट्टानों के खिसकने के कारण पैदा हुई हैं। सर्वे टीम ने आकलन के बाद सुझाव दिया कि जब तक स्थाई रूप से भू-तकनीकी सर्वेक्षण नहीं हो जाता तब तक यहां आवाजाही को बंद रखा जाए। डीएम गब्र्याल ने समिति की सर्वे आख्या के आधार पर पर्यटकों और स्थानीय को व्यू प्वांइट आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया है। उन्होंने यहां चेतावनी, कॉशनबोर्ड के साथ प्रवेश स्थल के आसपास तारबाड़, बैरिकेडिंग लगाने के निर्देश दिए। डीएम के निरीक्षण के दौरान विभिन्न विभागों के अधिकारी भी शामिल रहे।
दो साल से नहीं बन पाया ट्रीटमेंट प्लान
टिफिन टॉप की पहाड़ी पर तीन साल से लगातार भूस्खलन हो रहा है। पूर्व में गठित सर्वे टीम ने यहां भूमिगत दरारें बढ़ने की पुष्टि की थी। पहाड़ी से पीछे हो रहे भूस्खलन को भी चिंताजनक बताया था। दो सालों से इस रिपोर्ट के आधार पर कोई ट्रीटमेंट प्लान नहीं बन पाया। हालांकि ट्रीटमेंट का प्लान आसान नहीं होगा। यह एक खड़ी पहाड़ी है। ऐसे में व्यू प्वाइंट का स्थान बदला जा सकता है।
अंग्रेज अधिकारी ने पत्नी की याद में बनाया था
टिफिन टॉप को डोरोथी की सीट भी कहा जाता है। डोरोथी केलेट एक ब्रिटिश सेना अधिकारी कर्नल जेपी केलेट की पत्नी थीं। कर्नल केलेट ने इस पत्थर की बेंच को अपनी पत्नी की याद में बनवाया था। जो एक विमान दुर्घटना में मारी गई थीं। पहाड़ी की चोटी पर यह सीट पति का अपनी पत्नी के प्रति प्रेम दिखाता है। समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पहाड़ी से शानदार नजारा दिखता है। पिकनिक के लिए पसंद किए जाने के कारण यह स्थल टिफिन टॉप नाम से प्रचलित हो गया।
तीसरे पर्यटक स्थल पर आवाजाही बंद
नैनीताल में भूस्खलन के खतरे के कारण एक साल के भीतर तीसरा पर्यटक स्थल बंद करना पड़ा है। इससे पहले मल्लीताल के बैंड स्टैंड और ठंडी सड़क पर लोगों की आवाजाही बंद की जा चुकी है। टिफिन टॉप के बंद होने से एक हजार से अधिक लोगों का रोजगार सीधे तौर पर प्रभावित होगा।
नैनीताल का टिफिन टॉप पर्यटकों के लिए सबसे अधिक आकर्षण वाले स्थानों में से एक है। हर वर्ष यहां हजारों पर्यटक पहुंचते हैं और ऊंचाई से नैनीताल और हिमालयी क्षेत्र का दर्शन करना चाहते हैं। टिफिन टॉप पर आवाजाही बंद होने से जहां एक तरफ पर्यटक इसे देखने से महरूम होंगे वहीं इससे जुड़े एक हजार से अधिक कारोबारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
दरअसल टिफिन टॉप तक जाने के लिए पर्यटक घोड़े का इस्तेमाल करते हैं। सौ से अधिक पंजीकृत घोड़ा संचालक यहां काम करते हैं। इसके अलावा अपंजीकृत लोगों की रोजी भी यहां आने वाले पर्यटकों से चलती है। छोटे दुकानदारों और टैक्सी संचालकों के लिए भी टिफिन टॉप रोजगार का जरिया है। घोड़ा संचालक मो. फैजान के अनुसार टिफिन टॉप के बंद होने की खबर उनके लिए चिंताजनक है। पर्यटकों की प्राथमिकता व्यू प्वाइंट तक जाने की रहती है। वहां आवाजाही बंद होने से उनके काम पर असर पड़ेगा। टिफिन टॉप से नैनीताल का 360 डिग्री व्यू मिलता है।