September 29, 2024

राज्यपाल के पास सियासी अखाड़े में उतरने का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

0

नई दिल्ली
महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर गुरुवार बड़ा दिन साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट में एक ओर जहां पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पद पर बहाली से इनकार कर दिया गया। वहीं, राज्यपाल की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। हालांकि, इन सभी के बीच पश्चिमी राज्य की मौजूदा एकनाथ शिंदे सरकार पर छाए संकट के बादल छटते नजर आ रहे हैं। कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता से जुड़ा फैसला स्पीकर पर छोड़ा है।

गुरुवार को शीर्ष न्यायालय में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उद्धव को बहुमत साबित करने के लिए बुलाने के फैसले पर सवाल उठे। कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों के पास सियासी अखाड़े में उतरने का अधिकार नहीं है। फैसले में कहा गया है, 'राज्यपाल उन ताकतों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, जो उन्हें दी ही नहीं गई हैं। राज्यपाल के पास राजनीतिक अखाड़े में उतरकर पार्टियों के झगड़े में पड़ने का कोई अधिकार नहीं है।'

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा, 'वह इस आधार पर काम नहीं कर सकते कि कुछ लोग शिवसेना छोड़ना चाहते थे।' संवैधानिक बेंच ने कहा कि सरकार के बहुमत गंवाने और सरकार के विधायकों के नाखुश होने में फर्क है। इस दौरान राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट बुलाने के फैसला भी सवालिया निशानों से घिर गया।

कोर्ट ने कहा है कि पार्टी के भीतर जारी मतभेदों को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। बीते साल जून-जुलाई में शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के करीब 40 विधायकों ने अलग होकर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।

उद्धव ठाकरे पर भी सवाल
बेंच ने कहा कि भले ही फ्लोर टेस्ट बुलाने का राज्यपाल का फैसला गलत था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने भी फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और इस्तीफा दे दिया। ऐसे में कुछ नहीं किया जा सकता उनकी बहाली नहीं हो सकती। इसके चलते ही राज्य में शिंदे सरकार चलती रहेगी। 17 फरवरी को निर्वाचन आयोग ने शिंदे की अगुवाई वाले समूह को शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी थी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *