अरहर में नरमी लाने की कोशिश शुरू, म्यांमार से होगा दाल का आयात
नई दिल्ली
भारतीय बाजार में अरहर (तूर) की दाल में एक बार फिर तेजी का रुख बनने लगा है। दाल की कीमत आ रही तेजी को देखते हुए केंद्र सरकार ने म्यांमार से इसके आयात की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिल सके। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार मौजूदा सीजन के लिए करीब 1.05 लाख टन अरहर दाल का आयात कर सकती है।
आपको बता दें कि पिछले सीजन में दलहन के उत्पादन में हुई कमी की वजह से एक बार फिर भारतीय बाजार में अरहर दाल की कीमत में तेजी आने लगी है। अरहर के उत्पादन में पिछले सीजन के दौरान करीब 21 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। जानकारों का कहना है कि उत्पादन में आई कमी की वजह से कुछ कारोबारियों ने बड़े पैमाने पर अरहर दाल की जमाखोरी कर ली है, जिसकी वजह से खुदरा बाजार में अरहर की कमी जैसे हालात बन गए हैं और इसकी कीमत में तेजी आने लगी है।
अप्रैल के महीने में थोक बाजार में अरहर दाल 8,100 रुपये से लेकर 8,310 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा था। लेकिन मई में अरहर दाल की कीमत उछलकर 9,000 रुपये से लेकर 9,145 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई है। महाराष्ट्र के अकोला मंडी में अरहर की कीमत 9,080 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है। माना जा रहा है कि अगर बाजार में तत्काल अरहर दाल की उपलब्धता नहीं बढ़ाई गई, तो इस महीने के अंत तक थोक बाजार में इसकी कीमत 10,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को भी पार कर सकती है।
बाजार में आ रही इस तेजी की वजह से ही केंद्र सरकार ने म्यांमार से अरहर और उड़द दाल के आयात की तैयारी शुरू कर दी है। म्यांमार इन दोनों तरह की दालों का बड़ा उत्पादक है। केंद्र को उम्मीद है कि म्यांमार से लगभग 6,800 रुपये से लेकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर अरहर दाल का आयात किया जा सकेगा। इस कीमत में ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी शामिल है। सरकार का इरादा अरहर दाल का इतना बड़ा स्टॉक बनाने का है, जिससे अगले सीजन की शुरूआत तक देश में दाल का पर्याप्त स्टॉक बना रहे।
इस संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स पहले ही विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर म्यांमार से अरहर और उड़द दाल का आयात करने के लिए खरीद प्रक्रिया को शुरू करने की व्यवस्था करने का आग्रह कर चुका है। कंज्यूमर अफेयर डिपार्टमेंट का पत्र मिलने के बाद म्यांमार में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने भी स्थानीय कारोबारियों से बातचीत शुरू कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के अंत तक आयातित दाल की खेप भारत पहुंचने लगेगी। ऐसा होने के बाद बाजार में दाल की पर्याप्त उपलब्धता हो जाने के कारण इसकी कीमतों में तो गिरावट आएगी ही, वहीं जमाखोरी करने में जुटे घरेलू कारोबारी भी नुकसान से बचने के लिए अपना स्टॉक ओपन कर देंगे। जिससे उपभोक्ताओं को दोहरी राहत मिल सकेगी।