September 25, 2024

इंद्रेश कुमार बोले – भारत का सबसे बड़ा शत्रु चीन, इसके विरुद्ध देशवासियों को संकल्पित होने की जरूरत

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नई दिल्ली
ताइवान पर चीन की जारी सख्ती के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने चीन को देश का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए कहा कि इसके विरुद्ध पूरे देश को संकल्पित होना होगा। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अगर अभी से इसके खिलाफ कमर कसकर हर मोर्चे पर नहीं लड़ा गया तो वह ताइवान और नेपाल को निगलने के बाद भारत की ओर रुख करेगा।

अगर भारत उसका गुलाम हुआ तो वह ईस्ट इंडिया कंपनी और मुगलों से भी ज्यादा खतरनाक स्थिति होगी। उससे देश को आजाद होने में ढाई हजार साल से अधिक का वक्त लग जाएगा। वह जनपथ मार्ग स्थित अंबेडकर सेंटर में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैंस) द्वारा साइबर युद्ध आधारित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियां जारी है। भारत की सख्त आपत्तियों के बावजूद अपने लोगों की रक्षा के नाम पर लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के नजदीक पाकिस्तान की सीमा में अपने सैनिकों की मौजूदगी कर ली है। जिससे जम्मू कश्मीर तक हमला आसान हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि उसका भारत के खिलाफ आर्थिक और साइबर युद्ध के साथ प्रोपोगंडा युद्ध जारी ही है। यह युद्ध एक साथ कई मोर्चे पर लड़ी जा रही है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि आर्थिक युद्ध में चीन से उत्पादित सामानों पर और उसको कच्चा माल देने के मामले में सख्ती और प्रतिबंध जैसे कदमों से काबू पाया गया है। उसे राष्ट्रीय राजमार्ग व रक्षा के साथ दूरसंचार प्रोजेक्ट से बाहर किया गया है।

इसलिए हम चीन के चंगुल में आकर श्रीलंका जैसी दिवालिया होने की स्थिति से तो बच गए, पर साइबर युद्ध पर काबू पाना अभी जारी है। उन्होंने कहा कि देश में नफरत का माहौल तैयार करने के लिए मुस्लिम समाज को भड़काने, कोरोना के वक्त गरीब मजदूरों के पलायन के मामले में उन्हें भड़काने तथा गांव और शहर को आपस में लड़वाने जैसे मामले देखे गए, जिसमें उसे यहां के लोगों का भी साथ मिला।

अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, नाइजीरिया व कनाडा जैसे देशों से इंटरनेट आधारित मीडिया के माध्यम से देश का माहौल खराब करने वाले पोस्ट किए जा रहे हैं। संघ प्रचारक ने कहा कि आगे यह हमले और बढ़ेंगे। इसके लिए मजबूती से कमर कसना होगा। देश के लोगों के साथ देश को इन साइबर अपराधों से बचाने के लिए बड़ी संख्या में "साइबर संग्राम सेनानी" की आवश्यकता होगी, इसके लिए विशेषज्ञों के साथ युवाओं को आगे आना होगा।

 

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