दोनों मुजरिमों को जज उत्तम आनंद की हत्या में अंतिम सांस तक कैद की सजा
धनबाद
न्यायाधीश उत्तम आनंद हत्याकांड में शनिवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया। इसके पूर्व सजा के बिंदु पर धनबाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत में करीब 45 मिनट तक सुनवाई चली। इस दौरान सीबीआइ के विशेष अभियोजक अमित जिंदल ने कहा कि न्यायाधीश जैसे विशिष्ट पद पर बैठे व्यक्ति की हत्या विरल से विरलतम (रेयर ऑफ द रेयरेस्ट) प्रकृति के अपराध की श्रेणी में आता है। जिंदल ने इस बाबत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बच्चन सिंह स्टेट ऑफ पंजाब, धनंजय चटर्जी बनाम बंगाल राज्य में पारित सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया। दोनों मुजरिमों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को सजा-ए-मौत देने की मांग की और कहा कि मानव जीवन के मूल्य का कोई महत्व इनके लिए नहीं है। दोनों आपराधिक इतिहास के लोग हैं। जज के तीन छोटे बच्चे हैं। पत्नी अब विधवा हो चुकी है। मांग की कि उनके जीवन यापन के लिए उन्हें मुआवजा भी दिलाया जाए।
वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुमार विमलेंदु ने कहा कि दोनों कम उम्र के लड़के हैं। नशे की हालत में उनसे यह हादसा हुआ है। उनका हत्या का इरादा नहीं था। वह नहीं जानते थे कि जिन्हें उन्होंने टक्कर मारी है, वह जज हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। जवान हैं। गरीब हैं। मां-बाप को देखने वाला कोई नहीं है। लिहाजा अदालत दंडादेश में सहानुभूति पूर्वक विचार करे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने 3 बजकर 49 मिनट पर फैसला पढ़ना शुरू किया। तीन बजकर 58 मिनट पर उन्होंने दोनों मुजरिमों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को धारा 302/34 (सामान्य आशय से हत्या) में ताउम्र कैद (जीवित रहने तक) एवं 20-20 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 201 (सामान्य आशय से साक्ष्य छुपाने) के तहत सात वर्ष की कैद एवं 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीबीआइ के पीपी ने की बहस
इस चर्चित मामले में सीबीआइ की ओर से अभियोजन का संचालन सीबीआइ के स्पेशल क्राइम ब्रांच दिल्ली के विशेष अभियोजक अमित जिंदल कर रहे थे। शनिवार को सुनवाई के दौरान उन्होंने अदालत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बताया कि वह कोविड-19 से संक्रमित हो गए हैं। इस कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वह इस मामले में बहस करेंगे। लिहाजा अदालत ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस की इजाजत दी।
फैसला सुनाए जाने से पहले नर्वस थे दोनों मुजरिम
सुनवाई के दौरान दोनों मुजरिमों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया। पेशी के दौरान दोनों युवक तिलक चंदन लगाकर अदालत के सामने खड़े थे। दोनों के चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी।
मास्टरमाइंड का पता चलने तक आत्मा को संतोष नहीं: विशाल
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद मृतक जज उत्तम आनंद के बहनोई विशाल आनंद ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें अदालत के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है, लेकिन जब तक मास्टरमाइंड का पता नहीं चलेगा, उनकी आत्मा को संतुष्टि नहीं मिलेगी।
28 जुलाई को दिए गए थे दोषी करार पर
गुरुवार 28 जुलाई 2022 को न्यायाधीश उत्तम आनंद की पुण्यतिथि के दिन धनबाद के सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने दोनों आरोपितों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को हत्या एवं साक्ष्य छुपाने के आरोप में दोषी करार दिया था तथा सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 6 अगस्त की तारीख निर्धारित की है।
मामले में हुआ स्पीडी ट्रायल
विशेष अदालत ने इस मामले में स्पीडी ट्रायल किया। 22 फरवरी 2022 को आरोप तय होने के बाद महज पांच महीने में 58 गवाहों का बयान दर्ज कर लिया। सीबीआइ के क्राइम ब्रांच के स्पेशल पीपी अमित जिंदल ने आरोप पत्र के कुल 169 गवाहों में से 58 गवाहों का बयान दर्ज कराया था। सीबीआइ ने दावा किया था कि आरोपित लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा ने जानबूझकर जज साहब को टक्कर मारी थी, जिनसे उनकी मौत हुई। वहीं बचाव पक्ष ने इसे महज एक दुर्घटना बताया था।
28 जुलाई 2021 को ऑटो की टक्कर से हुई थी मौत
जज उत्तम आनंद की माैत 28 जुलाई 2021 की सुबह हुई थी। वह घर से मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। धनबाद के रणधीर वर्मा चाैक पर 5 बजकर 8 मिनट पर एक ऑटो ने उन्हें धक्का मार दिया। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। झारखंड सरकार की अनुशंसा पर मामले की जांच की जिम्मेवारी 4 अगस्त 2021 को सीबीआइ को साैंपी गई थी। 20 अक्टूबर को सीबीआइ ने दोनों के विरुद्ध हत्या का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर कर दिया था। वहीं सीबीआइ ने हत्या के अलावा ऑटो चोरी एवं मोबाइल चोरी की दो अलग एफआइआर दर्ज की थी।