नीति आयोग की बैठक में आठ मुख्यमंत्रियों का ना आना, दुर्भाग्यपूर्ण, जनविरोधी : रविशंकर प्रसाद
नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की शासकीय परिषद की आज यहां हुई आठवीं बैठक में विपक्षी दल शासित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अनुपस्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण, गैरजिम्मेदाराना और जनविरोधी बताते हुए आज कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि विपक्षी दल संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज नीति आयोग की बैठक में आठ मुख्यमंत्री नहीं आए। नीति आयोग देश के विकास और योजनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस बैठक के लिए 100 मुद्दे तय किए गए हैं, अब जो मुख्यमंत्री नहीं आए हैं वो अपने प्रदेश की जनता की आवाज यहां तक नहीं ला रहे हैं। उनसे सवाल है कि आखिर वे मोदी विरोध में कहां तक जाएंगे?
प्रसाद ने कहा कि भाजपा पर आरोप लगाया जाता है कि वह संस्थाओं का सम्मान नहीं करती है लेकिन इस आचरण से पता चलता है कि विपक्षी दल नीति आयोग जैसे संस्थानों की कितनी इज्ज़त करते हैं। वे उच्चतम न्यायालय पर टिप्पणी करते हैं, चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हैं। यानी उनके मनमाफिक ना हो तो सबकी आलोचना करेंगे। क्या इसी तरह से वे संस्थाओं का सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने नई संसद के शिलान्यास का बहिष्कार किया और अब उद्घाटन का बहिष्कार किया। जब वे मोदी सरकार की हर पहल के लिए श्रेय लेने से नहीं चूकते हैं तो नई संसद के बारे में भी ऐसा कर सकते थे। आखिर 2026 तक सांसदों की संख्या बढ़नी है। तब उनके लिए नई संसद की जरूरत तो बहुत पहले से ही जतायी जा रही थी। उन्होंने कहा कि दरअसल यह प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के प्रति उनकी चिढ़ है।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों की साझा दृष्टि विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। यह संपूर्ण नीति-ढांचे और पूरे देश के विकास के रोड मैप के निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण निकाय है। विशेष रूप से, प्रशासकीय परिषद की 8वीं बैठक में 100 मुद्दों पर बहस का प्रस्ताव है, और विपक्षी मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका बहिष्कार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उनके द्वारा इस आयोजन का बहिष्कार करने का नतीजा यह हो रहा है कि वे अपने राज्यों के लोगों की आवाज यहां नहीं ला पा रहे हैं।
प्रसाद ने कहा, “गवर्निंग काउन्सिल में महत्वपूर्ण चर्चा होती है, महत्वपूर्ण फैसले होते हैं और उसके बाद ये फैसले जमीन पर लागू होते हैं। लेकिन बावजूद इसके भी ये मुख्यमंत्री क्यों नहीं आ रहे? ये मुख्यमंत्री अपने प्रदेश की जनता का अहित क्यों कर रहे हैं? यह सब बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, गैर जिम्मेदाराना है, जनविरोधी है।”