September 30, 2024

अमेरिका की भारत के साथ ”महत्वपूर्ण” रक्षा साझेदारी, क्वाड में ”बेहतरीन सहयोग” : जॉन किर्बी

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वाशिंगटन
 व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका की भारत के साथ ''महत्वपूर्ण'' रक्षा साझेदारी है और क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद समूह) में ''बेहतरीन सहयोग'' है।

व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सामरिक संचार समन्वयक जॉन किर्बी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगामी यात्रा से पहले  दैनिक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी के यहां आने को लेकर उत्साहित हैं।''

एक सवाल के जवाब में किर्बी ने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं, अमेरिका की भारत के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदारी है और 'क्वाड' में, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ बेहतरीन सहयोग है … हम (मोदी की) यात्रा के लिए उत्सुक हैं।'' क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका की यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान, वह कांग्रेस के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे।

 

जर्मनी के आसमान में गरज रहे 250 लड़ाकू विमान, नाटो के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शुरू

बर्लिन
जर्मनी के आसमान पर इस समय 250 लड़ाकू विमान गरज रहे हैं। नाटो के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है। युद्धाभ्यास 'एयर डिफेंडर-2023' का समापन 23 जून को होगा।

नाटो के इस युद्धाभ्यास को रूस के खिलाफ सबसे बड़ी जंगी तैयारी माना जा रहा है। इस युद्धाभ्यास में 25 देशों के करीब 10,000 सैनिक और 250 विमान हिस्सा ले रहे हैं।

कहा जा रहा है कि इस दौरान यह सैनिक और विमान रूस पर छद्म हमले का अभ्यास करेंगे। इस युद्धाभ्यास के लिए अकेले अमेरिका ने 2000 एयर नेशनल गार्ड और लगभग 100 विमानों को भेजा है। इस 'एयर डिफेंडर-2023' में गैर नाटो देश स्वीडन और जापान के लड़ाकू विमान भी हिस्सा ले रहे हैं।

युद्धाभ्यास के आयोजन के प्रमुख भागीदार जर्मन वायुसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इंगो गेरहार्ट्ज ने कहा कि यह अभ्यास एक संकेत है। हमारे लिए सबसे ऊपर अपने नागरिकों की रक्षा है। नाटो देशों के लिए हम जल्द प्रतिक्रिया देने की स्थिति में हैं। ऐसे अभ्यासों से हम हर लिहाज से गठबंधन का बचाव करने में सक्षम होंगे। गेरहार्ट्ज ने कहा कि उन्होंने 2018 में अभ्यास का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब के किसी न किसी वजह से अभ्यास टलता रहा और इसे अब आयोजित किया जा रहा है।

 

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