प्रदेश में भी जाति आधारित जनगणना हेमंत सरकार विधानसभा में पेश कर सकती है प्रस्ताव
राँची
झारखंड में भी जाति आधारित जनगणना को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है। राज्य सरकार ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने की तैयारी की जा रही है। झारखंड में भी जाति आधारित जनगणना को लेकर मांग उठती रही है, राज्य में ओबीसी आरक्षण का मामला अब भी अधर में है।
राज्य सरकार ने कहा विचार किया जा रहा है
जाति आधारित जनगणना को लेकर फैसला केंद्र को लेना है इससे पहले भी सरना धर्म कोड का मामला केंद्र के पास लंबित है। ऐसे में कहना मुश्किल है कि राज्य में जाति आधारित जनगणना को लेकर केंद्र जल्द फैसला करेगा। विधायक प्रदीप यादव ने इसे लेकर विधानसभा में सवाल भी किया जिसके जवाब में राज्य सरकार ने कहा है कि ‘जाति आधारित जनगणना’ का विचार किया जा रहा है और इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जायेगा।
जल्द होगा फैसला
राज्य सरकार ‘सरना धर्म कोड’ के बाद ‘जाति आधारित जनगणना’ का मामला भी केंद्र के पाले में फेंकने की तैयारी में है। राज्य सरकार ने ‘1932 खतियान आधारित झारखंडी पहचान‘ और ‘आरक्षण की सीमा 77 प्रतिशत’ करने का प्रस्ताव राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा था। हालांकि, राज्यपाल ने इन दोनों विधेयकों को लौटा दिया था। चर्चा है कि इस मानसून सत्र में सरकार दोनों बिल एक बार फिर पेश कर सकती है।
विधानसभा में उठा मुद्दा
बिहार सरकार जाति आधारित जनगणना’ करा रही है। राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। इस पर हाइकोर्ट ने फैसला देते हुए राज्य सरकार को ‘जाति आधारित जनगणना’ कराने का अधिकार होने का आदेश दिया है। अब झारखंड में भी इसे लेकर चली चर्चा से साफ है कि हेमंत सरकार जाति आधारित जनगणना का मन बना रही है। झारखंड में फिलहाल पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इसे 27 प्रतिशत करने की मांग हो रही है। विधायक प्रदीप यादव ने भी सरकार से पूछा था कि राज्य में पिछड़ों की आबादी औसतन 50 से 60 प्रतिशत है। सरकारी सेवाओं में इनको मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। जिला कोटी की सेवा में नौ जिलों में ओबीसी का आरक्षण शून्य है।
आरक्षण की स्थिति
राज्य में एसटी को 26 प्रतिशत एससी को 10 प्रतिशत, ओबीसी-1 को 08 प्रतिशत, ओबीसी-2 को 6 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर को 10 प्रतिशत का आरक्षण है।
आरक्षण सीमा के किये गये संशोधन
एससी : 12 प्रतिशत
एसटी : 28 प्रतिशत
ओबीसी-1 : 15 प्रतिशत
ओबीसी-2 : 12 प्रतिशत
आर्थिक रूप से कमजोर : 10 प्रतिशत
कुल : 77 प्रतिशत
जाति आधारित जनगणना
देश या क्षेत्र की जनसंख्या को उनकी जाति के आधार पर गिना जाता है। जाति आधारित जनगणना के माध्यम से जानकारी संकलित कर उसी आधार पर योजना बनाने की तैयारी की जाती है ताकि समाज में सबकी भागीदारी बराबर रहे। इस जानकारी का उपयोग राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और कल्चरल नीतियों को बनाने और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने के लिए करते हैं। इस प्रक्रिया से यह जानकारी प्राप्त की जाती है कि किस जाति के लोग किस भूभाग में अधिकांशतः निवास करते हैं और इससे उन्हें उस क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक संदर्भ के बारे में जानकारी मिलती है।