एफडी निवेशकों के लिए खुशखबरी, बैंक ऑफ इंडिया ने शुरू की स्पेशल एफडी मानसून डिपॉजिट , मिल रहा तगड़ा ब्याज
नई दिल्ली
सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दो करोड़ रुपये से कम कुछ अवधि की एफडी की ब्याज दरों में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही 400 दिनों की एक स्पेशल एफडी स्कीम मानसून डिपॉजिट लॉन्च की है। बैंक की ओर से इस स्पेशल एफडी पर सबसे अधिक 7.25 प्रतिशत का ब्याज दिया जा रहा है। बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, नई ब्याज दरें 28 जुलाई से लागू हो गई हैं। बैंक की ओर से 7 दिनों से लेकर 10 साल तक की अवधि एफडी ऑफर की जा रही है।
ऑफ इंडिया की एफडी की ब्याज दरें
- 7 दिनों से लेकर 45 दिनों तक की एफडी पर – 3.00 प्रतिशत
- 46 दिनों से लेकर 179 दिनों तक की एफडी पर – 4.50 प्रतिशत
- 180 दिनों से लेकर 269 दिनों तक की एफडी पर – 5.00 प्रतिशत
- 270 दिनों से लेकर एक साल से कम की एफडी पर – 5.50 प्रतिशत
- एक साल की एफडी पर – 6.00 प्रतिशत
- एक साल एक दिन से लेकर 399 दिनों की एफडी पर – 6.00 प्रतिशत
- 400 दिनों की एफडी पर – 7.25 प्रतिशत
- 401 दिनों से लेकर दो साल से कम की एफडी पर – 6.00 प्रतिशत
- दो साल से लेकर 3 साल से कम एफडी पर – 6.75 प्रतिशत
- 3 साल से लेकर 5 साल से कम एफडी पर – 6.50 प्रतिशत
- 5 साल से लेकर 10 साल की एफडी पर – 6.00 प्रतिशत
वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी अधिक ब्याज
बैंक की वेबसाइट दी गई जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या उससे अधिक) को 3 वर्ष या उससे अधिक की एफडी कराने पर 0.50 प्रतिशत की ब्याज के अलावा 0.25 प्रतिशत की ब्याज दी जाएगी। वहीं, अतिवरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष या अधिक) को 3 वर्ष या उससे अधिक की एफडी कराने पर 0.50 प्रतिशत की ब्याज के अलावा 0.40 प्रतिशत की ब्याज दी जाएगी।
इंडसइंड बैंक ने एफडी पर ब्याज दरों में किया बदलाव, अब एक साल की एफडी पर निवेशकों को मिल रहा इतना फायदा
नई दिल्ली
निजी क्षेत्र के इंडसइंड बैंक की ओर से 2 करोड़ रुपये कम की एफडी ब्याज दरों में बदलाव किया गया है। नई ब्याज दरें 5 अगस्त, 2023 से लागू हो गई है। बैंक ने एक साल 7 महीने से लेकर दो साल तक की एफडी पर ब्याज दर को 25 आधार अंक कम कर दिया है।
बैंक की ओर से ये कटौती ऐसे समय पर की गई है, जब ब्याज दरों की समीक्षा के लिए होने वाली आरबीआई की बैठक अगले हफ्ते शेड्यूल्ड है।
सइंड बैंक की एफडी पर ताजा ब्याज दर
बैंक की ओर से 7 दिनों से लेकर 30 दिनों की एफडी पर 3.5 प्रतिशत, 31 दिनों से लेकर 45 दिनों की एफडी पर 3.75 प्रतिशत, 46 दिनों से लेकर 60 दिनों की एफडी पर 4.25 प्रतिशत, 61 दिनों से लेकर 90 दिनों की एफडी पर 4.60 प्रतिशत, 91 दिनों से लेकर 120 दिनों की एफडी पर 4.75 प्रतिशत, 121 दिनों से लेकर 180 दिनों की एफडी पर 5.00 प्रतिशत, 181 दिनों से लेकर 210 दिनों की एफडी पर 5.85 प्रतिशत, 211 दिनों से लेकर 269 दिनों की एफडी पर 6.10 प्रतिशत, 270 दिनों से लेकर 364 दिनों की एफडी पर 6.35 प्रतिशत का ब्याज दिया जा रहा है।
सेबी के रडार पर अनलिसटेड कंपनी, बाजार नियामक बना रहा है ये बड़ा प्लान
नई दिल्ली
पूंजी बाजार नियामक सेबी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर आवश्यकताओं को लागू करने पर विचार कर रहा है।
आपको बता दें कि जिस तरह लिस्टेड कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर जरूरी होता है उसी प्रकार अब अन लिस्टेड कंपनियों को भी अब डिस्क्लोजर जरूरी करने पर विचार किया जा रहा है जो फिलहाल लागू नहीं है।
पारदर्शिता की सुविधा देना का लक्ष्य
सेबी ने 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि सके अलावा, सेबी लेनदेन की ग्रुप-स्तरीय रिपोर्टिंग को बढ़ाकर ग्रुप के आसपास पारदर्शिता की सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहा है। अपने एनुअल रिपोर्ट में सेबी ने बताया कि ग्रुप के अंदर क्रॉस-होल्डिंग और फिजिकल वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा जैसे कुछ ऐसे मामले हैं जिनकी जांच सेबी वार्षिक आधार पर खुलासा करने के लिए करेगा।
डेरिवेटिव सेगमेंट पर भी सेबी का एक्शन
अन लिस्टेड कंपनियों के अलावा सेबी डेरिवेटिव सेगमेंट में स्टॉक पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
आपको बता दें कि डेरिवेटिव में स्टॉक पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की आखिरी समीक्षा 2018 में हुई थी। तब से, बाजार पूंजीकरण और टर्नओवर जैसे नकदी बाजार के आकार और तरलता को दर्शाने वाले व्यापक बाजार पैरामीटर काफी बढ़ गए हैं।
सेबी क्यों उठा रहा है यह कदम?
इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयरों और अनुबंधों के लिए अस्थिरता प्रबंधन को मजबूत करने और सूचना में होने वाली कठिनाईयों को कम करने के लिए, पूंजी बाजार नियामक इन शेयरों और उनके डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए मूल्य बैंड के मौजूदा ढांचे को मजबूत करने की प्रक्रिया में है।
डीलिस्टिंग पर भी सेबी का है ये प्लान
अन्य उपायों के अलावा, सेबी डीलिस्टिंग के मामले में मूल्य निर्धारण तंत्र की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
बाजार नियामक सेबी स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अपनाए गए अनिवार्य डीलिस्टिंग ढांचे की समीक्षा करने की भी योजना बना रहा है।