September 22, 2024

सात दिनों के अंदर दो युवकों को सजा-ए-मौत, बंगाल के जज ने मर्डर केस में सुनाया फैसला

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 बरहामपुर

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बरहामपुर की फास्ट-ट्रैक कोर्ट के जज ने 24 साल के एक युवक को मौत की सजा सुनाई है। सरकारी वकील बिभास चटर्जी ने कहा कि आरोपी को पिछले साल मई में 18 वर्षीय पूर्व प्रेमिका की हत्या का दोषी पाते हुए गुरुवार को जज ने ये फैसला सुनाया।  सात दिन पहले यानी 24 अगस्त को, उसी जज संतोष कुमार पाठक ने प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक 35 वर्षीय बंधु प्रकाश पाल, उनकी पत्नी ब्यूटी पाल (31) और उनके सात वर्षीय बेटे आंगन की हत्या के जुर्म में 22 वर्षीय उत्पल बेहरा को भी सजा-ए-मौत सुनाई थी। ये हत्या 8 अक्टूबर, 2019 को की गई थी। चटर्जी इस मुकदमे में भी सरकारी वकील थे।

पहले मामले में जज ने आरोपी सुशांत चौधरी को पिछले साल 22 मई को बरहामपुर शहर में एक गर्ल्स हॉस्टल के बाहर सुतापा चौधरी की हत्या का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। पुलिस ने इलाके में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद सुशांत को गिरफ्तार किया था। इस मुकदमे के दौरान 32 गवाहों ने गवाही दी थी।

अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि 18 वर्षीय कॉलेज छात्रा, जिसका परिवार निकटवर्ती मालदा जिले में रहता है, को 42 बार चाकू से गोदा गया था। जब कुछ स्थानीय युवकों ने सुशांत को रोकने की कोशिश की, तो उसने एक टॉय पिस्टल लहराकर उन्हें भी डरा दिया था। सजा की घोषणा के बाद चटर्जी ने मीडिया से कहा, “सुशांत ने स्वीकार किया कि उसने सुतापा की हत्या की क्योंकि उसने रिश्ता तोड़ दिया था। यह इतना जघन्य अपराध करने का कोई कारण नहीं हो सकता। वह पीड़िता की मौत सुनिश्चित करने के लिए उसे बार-बार चाकू मारता रहा था।" आदेश सुनने के बाद सुशांत कोर्ट में फूट-फूटकर रोने लगा।

 
2019 की हत्या के एक अन्य मामले में न्यायाधीश पाठक ने 22 वर्षीय राजमिस्त्री उत्पल बेहरा को भी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 201 (साक्ष्य से छेड़छाड़) के तहत दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है। चार साल पहले दुर्गा पूजा के आखिरी दिन विजयदशमी की सुबह हुई इन हत्याओं ने पश्चिम बंगाल को हिलाकर रख दिया था।

मुर्शिदाबाद के जियागंज इलाके में तीनों पीड़ितों को उनके घर के अंदर चाकुओं से गोदने के बाद काट कर मार दिया गया था। अदालत में पेश की गई शव परीक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्यूटी पाल उस समय गर्भावस्था के आठवें महीने में थी। बेहरा, जिसका हत्याओं से पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, ने दलील दी कि वह निर्दोष है और पुलिस ने उसे फंसाया है।

इस मर्डर केस के एक सप्ताह बाद स्थानीय लोगों के बयानों के आधार पर जिले के सागरदिघी इलाके से बेहरा को  गिरफ्तार किया गया था। स्थानीय लोगों ने बेहरा को शिक्षक के घर से बाहर निकलते देखा था। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि बेहरा ने स्कूल शिक्षक के माध्यम से एक अल्पकालिक बीमा पॉलिसी खरीदी थी, जिसके लिए वह प्रीमियम के लिए प्रति वर्ष 24000 रुपये देता था।

पॉलिसी 2019 में लैप्स हो गई क्योंकि पाल ने बीमा कंपनी के पास प्रीमियम जमा नहीं किया था। इससे राजमिस्त्री नाराज हो गया और उसने स्कूल टीचर की हत्या करने की योजना बना ली। महिला और उसके बेटे की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि वे चश्मदीद गवाह थे।

 

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