September 29, 2024

महल अभी सुरक्षित है, इसीलिए महारानी चुप

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जयपुर.

भाजपा ने राजस्थान के लिए घोषित की गई 41 सीटों में से वसुंधरा राजे सिंधिया के करीबी नेताओं को किनारे लगा दिया है। राजपाल सिंह शेखावत और नरपत सिंह राजवी जैसे वसुंधरा के अनेक करीबियों पर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की गाज गिरी है। पहली लिस्ट में एक भी चेहरा ऐसा शामिल नहीं है, जिसे वसुंधरा का खास आदमी कहा जा सके। अभी तक अटकलें लगाई जा रही थीं कि वसुंधरा करीबियों को टिकट न मिलने पर रानी का विद्रोह सामने आ सकता है। लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ है। वसुंधरा के कुछ समर्थकों ने अपना टिकट कटने पर विरोध जरूर जताया है, लेकिन स्वयं वसुंधरा ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी
है। क्या उन्हें किसी बात की प्रतीक्षा है,या महत्त्वाकांक्षी रानी ने समय की नजाकत को भांपते हुए केंद्रीय नेतृत्व के सामने हथियार डाल दिए हैं?       

सबसे करीबी को नहीं मिला टिकट
वसुंधरा राजे सिंधिया सरकार में मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत को उनका बहुत करीबी नेता माना जाता है। वे जयपुर की झोटवाड़ा सीट से 2008 और 2013 में विधायक रह चुके हैं। पिछले चुनाव में वे कांग्रेस के लालचंद कटारिया से चुनाव हार गए थे। लेकिन बदली हवा में इस बार यहां से उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी, लेकिन भाजपा ने उनका नाम काट दिया है। उनकी जगह राज्यवर्धन सिंह राठौर को चुनाव में उतारा गया है। उनका विरोध अवश्य हो रहा है, लेकिन राठौर का विरोध भी उस स्तर पर नहीं हो रहा है, जिसकी आशंका जताई जा रही थी।    

सबसे चौंकाने वाला निर्णय, लेकिन विरोध नहीं
वसुंधरा राजे सिंधिया खेमे के माने जाने वाले नरपत सिंह राजवी इस समय जयपुर की विद्याधर नगर सीट से लगातार तीसरी बार विधायक हैं। वे पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दामाद भी हैं। इस सीट पर उनके प्रभाव के कारण इस पर उनका नाम लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन उनका टिकट कट गया है। उनके सीट पर सांसद दिया कुमारी को मैदान में उतार दिया गया है। अनुमान यही लगाया जा रहा था कि वसुंधरा के करीबी और शेखावत परिवार का सदस्य होने के कारण उनका टिकट कटने से विरोध हो सकता है। लेकिन भाजपा ने पहली लिस्ट में जिन सात सांसदों को टिकट थमाया है, उनमें दिया कुमारी ही एकमात्र सांसद हैं, जिनका अभी तक खुलकर विरोध नहीं हो रहा है।

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