November 25, 2024

चुनाव के बीच हिमालय चलीं उमा भारती, गिना दिए अपनी ही सरकार के अधूरे काम

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भोपाल

मध्य प्रदेश में एक तरफ चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री उमा भारती ने हिमालय की यात्रा पर निकलने का ऐलान कर दिया है। चुनावी गतिविधियों से दूरी बनाकर चल रहीं उमा भारती के इस ऐलान को पार्टी से उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, उमा भारती ने शिवराज सरकार के एक कदम की तारीफ भी की है और दोबारा भाजपा सरकार बनने की प्रार्थना करने की बात कही है। उमा भारती ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर अपने प्लान का ऐलान करते हुए बताया कि गुरुवार को वह टीकमगढ़ में अपने पैतृक गांव डूंडा जाएंगी और शुक्रवार तक कुल देवियों को प्रणाम करने के बाद ओरछा रामराजा सरकार के सामने माथा टेकेंगी और फिर हिमालय के लिए निकल जाएंगी। इस दौरान चुनावी आचार संहिता के सभी नियमों का पालन करने की बात कही।

अपनी सरकार के कामकाज पर चिंतन, पार्टी की जीत के लिए प्रार्थना
उमा भारती ने यह साफ नहीं किया है कि वह चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगी या नहीं। लेकिन यह जरूर कहा कि वह पूरी मेहनत करेंगी और भगवान से प्रार्थना करेंगी। उमा ने लिखा, 'मैं पूरी मेहनत करूंगी और भगवान से प्रार्थना भी करती हूं कि हमारी सरकार बने और मेरी और हम सबकी अधूरी रह गई आकांक्षाओं को पूरा करें।' पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि वह भाजपा के 20 साल के शासन पर मंथन करेंगी। उन्होंने कहा, 'अंत में मैं इस निष्कर्ष पर हूं कि 2003 से अभी तक डेढ़ साल को छोड़कर हमारी ही सरकार रही। लोगों के जिन सपनों को पूरा करने के लिए हमने कांग्रेस को  20 साल पहले ध्वस्त किया था, वह सपने कितने पूरे हुए उस पर अभी और आत्म चिंतन मैं अभी कुछ दिन हिमालय में बद्री–केदार के दर्शन करते समय करूंगी।'

अधूरे काम भी गिनाए
उमा भारती ने शिवराज सरकार की नई शराब नीति को आदर्श और अभिनंदनीय बताया और कहा कि उन्होंने साढ़े तीन वर्षों में कई जनकल्याणकारी कामों की शुरुआत की। लगे हाथ उन्होंने कई अधूरे काम भी गिना दिए। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा रिवर लिंक जो लगभग 2017 से शिलान्यास के लिए तैयार है। गौ संवर्धन, गौ रक्षण के उपाय संतोषजनक स्थिति तक नहीं पहुंच पाए। पंच –ज अभियान संपूर्णता से नहीं हुआ, टुकड़ों में हुआ। धार भोजशाला की सरस्वती माई राज्य और केंद्र में हमारी सरकार होते हुए भी अपनी गद्दी पर वापस नहीं लौट सकीं। रायसेन के सोमेश्वर और विदिशा की विजया देवी के मंदिर के पट नहीं खुल सके जबकि हमारे केंद्रीय नेतृत्व के एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी  ने मुझे इसका आश्वासन दिया था।

 

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