रामलीला क्षेत्र डूबा रहा चार दिन तक पानी में मूर्तिकार परेशान
विदिशा
चार दिन बाद गणेश प्रतिमाओं की स्थापना शुभारंभ 31 अगस्त से होना हैए लेकिन हाल में आई बाढ़ ने विघ्नहर्ता की स्थापना में ही विघ्न डाल दिया। ऐसे में मूर्तिकार और उत्सव समितियों के लोग परेशान हैंए क्योंकि बाढ़ में निमाणार्धीन प्रतिमाओं को क्षति पहुंची है और पहले से आर्डर के बावजूद करीब 60 से 70 से ज्यादा प्रतिमाओं की पूर्ति इस बार समय पर नहीं हो पाएगी। स्थानीय मूर्तिकारों को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनकी मेहनत मटियामेट हो गई है।
विदिशा में गणेशोत्सव के दौरान 150 से ज्यादा झांकियां लगती हैं। जबकि आसपास के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी यहीं से सैंकड़ों प्रतिमाएं बनकर जाती हैं। गणेश और दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण ज्यादातर रामलीला मैदान के आसपास होता है। यह क्षेत्र चार दिन पानी में डूबा रहने से यहां का पानी प्रतिमाओं के निर्माण स्थल पर भी काफी भर गया था। मृर्तिकारों ने ऊपर से तो प्रतिमाओं को बचाने के लिए पॉलीथिन.त्रिपाल आदि की व्यवस्था कर ली थीए लेकिन जब पूरे क्षेत्र में पानी भरा तो मृर्ति निर्माण स्थल को भी अपने चपेट में ले गया। इससे गणेश की तमाम प्रतिमाएं नीचे से गल गल कर बह गईं।
रायपुरा रोड पर प्रतिमाएं बनाने वाले कन्हैया लाल कुश्वाह ने बताया कि 13 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा बना रहे थेए लेकिन बारिश ने प्रतिमाओं के गलकर बिखर जाने से अब समय पर काम पूरा करना मुश्किल हो रहा है। बाढ़ का पानी इस पूरे क्षेत्र में भर जाने से उनकी सिर्फ प्रतिमाएं ही गलकर नहीं बिखरीं बल्कि प्रतिमाओं के निर्माण में काम आने वाली चाक मिट्टी, रंग, प्लायबोर्ड अनेक सामान बर्बाद हो गया।
समय पर प्रतिमा न दे पाने के हम नहीं दोषी: मूर्तिकार
मृर्तिकार ने बताया कि कई प्रतिमाएं आर्डर की थींए जिन्हें अब हम चार दिन में पूरी नहीं कर सकते। आर्डर की करीब 40 प्रतिमाओं को हम समय पर नहीं पहुंचा पाएंगे। हमारा करीब दो से तीन लाख रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने उत्सव समिति के लोगों से आग्रह किया है कि यह दैवीय प्रकोप है। इसकी स्थिति और प्रतिामाओं को हुए नुकसान को देखते हुए छोटी प्रतिमाओं की स्थापना का विकल्प रखें। समय पर प्रतिमाएं न दे पाने के लिए हम दोषी नहीं हैं। हिन्दू संगठनों से जुड़े अनेक लोगों ने भी इस बात का आग्रह गणेशोत्सव समितियों से किया है कि इस प्राकृतिक आपदा में मूर्तिकार को दोष देकर उन पर दबाव न बनाएं।