मप्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग पर अत्याचार के मामलों में हो रही बढ़ोतरी
भोपाल
मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग पर अत्याचार के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल के आंकड़े यह दिखा रहे हैं कि हर साल एक से दो हजार तक मामले बढ़ रहे हैं। यह क्रम 2018 से बदस्तूर जारी है। इस दौरान प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की भी सरकार रही, लेकिन दोनों ही दलों की सरकार इन पर अत्याचार के मामलों पर अंकुश लगाने में कामयाब नहीं रही। इन पर होने वाले अपराधों की स्थिति यह रही कि कोरोना काल वाले वर्ष में भी अपराधों की संख्या बढती गई।
प्रदेश में एससी और एसटी वर्ग के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में सबसे ज्यादा खराब वर्ष 2021 रहा। इस वर्ष नंवबर में पिछले चार सालों में हर माह की तुलना में सबसे ज्यादा अपराध दर्ज हुए। नवंबर 2021 में 979 अपराध दर्ज हुए। जबकि सबसे कम दिसंबर 2018 में 466 मामले दर्ज हुए। बाकी हर महीने में वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक इससे ज्यादा ही अपराध दर्ज हुए। वर्ष 2018 में प्रदेश भर में 6 हजार 852 एजेके थानों में अपराध दर्ज हुये। इस साल मार्च में सबसे ज्यादा 808 मामले दर्ज हुए थे। जबकि वर्ष 2019 में 7 हजार 474 मामले दर्ज हुए। इस साल अक्टूबर में सबसे ज्यादा 812 मामले दर्ज हुए थे।
कोरोना काल में भी थे बेखौफ अपराधी
कोरोना काल में भी एससी और एसटी के लोगों पर अत्याचार होते रहे। प्रदेश में वर्ष 2020 में 9 हजार 664 अपराध एजेके थानों में दर्ज हुए थे। इसमें से जनवरी, फरवरी और मार्च में 2 हजार 225 मामले दर्ज हुए। जबकि इसके बाद अप्रैल से लेकर दिसंबर तक 7439 मामले दर्ज हुए। वहीं वर्ष 2021 में प्रदेश के एजेके थानों में दर्ज अपराधों ने पहली बार 10 हजार का आंकड़ा पार किया। इस साल 11 हजार मामले दर्ज हुए थे।