रायसेन की रेत खदानों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगाई रोक
सीहोर
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रायसेन की रेत खदानों पर रोक लगा दी. इसकी वजह बताई जा रही है कि मध्य प्रदेश के रायसेन जिला प्रशासन द्वारा ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई. खनन की डिटेल सर्वे रिपोर्ट डीएसआर अभी तक पेश नहीं की गई. इसी को आधार बनाकर कोर्ट ने सख्त निर्णय लेते हुए रायसेन जिले की रेत खदानों पर रोक लगा दी. कोर्ट के इस आदेश का असर 12 और जिलों की रेत खदानों पर भी पड़ेगा. राज्य सरकार डीएसआर कोर्ट में प्रस्तुत करने की तैयारी में जुट गई है.
'जिला प्रशासन ने आदेशों की अवहेलना की'
कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में उल्लेख किया है कि एनजीटी के निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन ने बिना डीएसआर के ना केवल खनन गतिविधियों की अनुमति दी थी बल्कि ठेकेदारों का पक्ष भी लिया. एनजीटी ने पहले भी राज्य सरकार को रेत खनन निविदाओं को बुलाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अनुमोदित डीएसआर का पालन करने का निर्देश दिया था. रायसेन जिला प्रशासन ने ना केवल इन आदेशों की अवहेलना की बल्कि निविदाएं बलाकर टेंडर आवंटित भी कर दिए.
रायसेन जिले में रेत का ठेका एफोरिया माइनिंग और पुष्पा माइनिंग को दिया गया था. दोनों ही फर्म के प्रमोटर एक ही हैं. एफोरिया माइनिंग पर पहले पन्ना जिले में रेत के अवैध खनन के आरोप लगे थे जो जांच में सही पाए गए.
दर में पक्षपात
रायसेन जिले में रेत खदानों के दो अलग-अलग ब्लॉक हैं. जिला प्रशासन ने एक ब्लॉक के ठेकेदार को 250 रुपये प्रति घन मीटर की दर से खनन की अनुमति दी. जबकि दूसरे ब्लॉक के ठेकेदार को 380 रुपये घन मीटर की दर से खनन की अनुमति दी. इससे प्रतीत हो रहा है कि जिला प्रशासन द्वारा रेत ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया है.