आदिवासियों की नई राजनीतिक पार्टी तीन राज्यों में लड़ेगी विधानसभा चुनाव
जयपुर
राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल दस जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग कर रहे आदिवासियों ने नई राजनीतिक पार्टी बनाई है। नेशनल ट्राइबल पार्टी के नाम से बनाई गई नई पार्टी तीनों राज्यों में आदिवासी बहुल 45 से 50 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अब तक आदिवासियों की हमदर्द होने का दावा करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी को नई पार्टी से टक्कर मिल सकती है। एनटीपी ने तीनों राज्यों में संगठन तैयार करना प्रारम्भ कर दिया है। नई पार्टी का हाल ही में चुनाव आयोग में पंजीकरण हुआ है।
राजस्थान में बीटीपी के दोनों विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद भी एनटीपी के नेताओं के संपर्क में है। विधानसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व दोनों विधायक बीटीपी छोड़कर एनटीपी में शामिल हो सकते हैं। अभी पार्टी छोड़ने पर दल बदल कानून के चलते दोनों की विधानसभा से सदस्यता समाप्त हो सकती है। तीनों राज्यों के आदिवासी बहुल जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग इस पार्टी का मुख्य वादा होगा । एनटीपी ने जयपुर में प्रदेशस्तरीय कार्यालय भी खोला है। राजस्थान का आदिवासी वोट बैंक साधने को लेकर दोनों राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस और भाजपा पिछले छह महीने से जुटी हैं। कांग्रेस ने उदयपुर में चिंतन शिविर किया तो भाजपा ने माउंट आबू में प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर आदिवासियों में संदेश देने का काम किया।
मानगढ़ धाम से वोट बैंक को साधने की कोशिश
इस साल गुजरात और करीब 15 महीने बाद राजस्थान व मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों के धार्मिक स्थल मानगढ़ धाम के माध्यम से वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटी है। भाजपा जहां मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करवाने के लिए अभियान चला रही है। वहीं कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत सरकार के माध्यम से मानगढ़ में विकास कार्य करवा कर अपना वोट बैंक पक्का करने की काोशिश कर रहे हैं। वहीं एनटीपी भील प्रदेश और इसकी राजधानी मानगढ़ धाम बनाने की बात कह रही है। बीटीपी के नेता भी इसे चुनावी मुददा बना रहे हैं। दरअसल, राजस्थान के चार जिलों के साथ ही गुजरात व मध्यप्रदेश के आदिवासियों में मानगढ़ धाम के प्रति गहरी आस्था है। इस आस्था का ही राजनीति लाभ पार्टियां लेने की कोशिश कर रही है।
हमारी पार्टी और हम ही नेता
एनटीपी के नेता भंवरलाल परमार,मणिलाल गरासिया और रहमा राम ने कहा कि आदवासियों की खुद की पार्टी होगी और हम ही नेता होंगे । गैर आदिवासी को हमारे वोट बैंक पर राजनीतिक नहीं करने देंगे। राजस्थान के बांसवाड़ा,उदयपुर,डूंगरपुर,बांसवाड़ा जिलों के साथ ही गुजरात के गोधरा,दाहोद,पंचामहल और मध्यप्रदेश के रतलाम, झाबुआ, धार जिलों को मिलाकर नया राज्य भील प्रदेश बनाया जाना चाहिए। आदिवासी नेताओं का दावा है कि राजस्थान में 16, गुजराज में 24 और मध्यप्रदेश में 47 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है।