CM ने सड़कें दुरुस्त की दी अवधि सामाप्त होने में 6 दिन शेष हजार शिकायतों पर काम ही शुरू नहीं
भोपाल
राजधानी भोपाल की सड़कों की दुर्गति देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीडब्ल्यूडी और नगर निगम अफसरों को 15 दिन में सड़कें सुधारने का निर्देश दिया था। सीएम द्वारा दी गई अवधि के मात्र 6 दिन शेष बचे हैं, लेकिन हालत यह है कि जुलाई से अक्टूबर तक की गई 20 हजार शिकायतें ही पेंडिंग पड़ी हैं। शहरों में सड़कों के गड्ढे लोगों और वाहनों की कमर तोड़ रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों में कई स्थानों पर सड़कें ही गायब हैं।
सड़कों की दुर्गति को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नगर निगम भोपाल और लोक निर्माण विभाग के अफसरों को फटकार लगाने के बाद भी प्रदेश में सड़कों की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री के अल्टीमेटम में अब छह दिन का समय बाकी बचा है लेकिन बेफिक्र अफसरशाही सड़कों की हालत नहीं सुधार सकी है। शहरी इलाकों में सड़कों के गड्ढे लोगों और वाहनों की कमर तोड़ रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों में कई स्थानों पर सड़कें ही गायब हैं। इस बीच प्रदेश में सड़कों के गड्ढे नहीं भरने, मरम्मत नहीं करने और सड़क सुधार नहीं किए जाने के 20 हजार से अधिक मामले अफसरों के पास शिकायत के रूप में पहुंचे हैं। बारिश के बाद उखड़ी इन सड़कों की मॉनिटरिंग करने वाले अफसरों को भी जनता की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है। लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आने वाली सड़कों की बात करें तो पता चलता है कि प्रदेश में 1100 मामले विभाग की सड़कों की खस्ता हालत को लेकर शासन के पास शिकायत के रूप में दर्ज है।
इसमें एमपी रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की सड़कों के कम्प्लेन के मामले भी शामिल हैं। यह सभी मामले जुलाई से अक्टूबर के बीच के ही हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में खराब निर्माण कार्य, काम चालू नहीं होने और अधूरे छोड़ने से संबंधित 1574 मामलों में कार्रवाई नहीं की गई गई है। इसमें मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की खराब हुई सड़कें भी शामिल हैं।
ग्रामीण सड़कों के 1108 मामले लटके
ग्रामीण इलाकों में सड़कों की संधारण और मरम्मत करने वाली एक अन्य इकाई ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के पास भी 1108 मामले पेंडिंग हैं। कई गांवों में तो सड़कें गायब ही हैं और अफसरों की मेहरबानी का इंतजार ग्रामीणों को है कि सड़कें सुधर जाएं तो आवागमन व्यवस्थित हो सके। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 25 अक्टूबर को भोपाल की शाहजहानाबाद, हमीदिया रोड से गुजरने के बाद सड़कों की दशा पर खासी नाराजगी जताई थी और 26 अक्टूबर को नगरीय निकाय व लोक निर्माण विभाग के अफसरों की मीटिंग में कहा था कि सड़कों की ऐसी दुर्गति है, इसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। सीएम चौहान ने 15 दिन में सड़कों की हालत दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे।
निगमों और निकायों की कॉलोनियों में चलना दूभर 8 हजार से ज्यादा शिकायतें
सड़कों के निर्माण, मरम्मत की विभाग वार जानकारी जुटाने पर पता चला है कि बारिश के दौरान जुलाई से लेकर अक्टूबर के अंत तक सड़कों की खस्ता हालत निर्माण एजेंसियों के घटिया निर्माण और अफसरों की क्वालिटी से समझौते की पोल भी खोलती है। इस अवधि में सबसे अधिक कम्प्लेन नगरीय निकायों की हैं। इसमें नगरपालिका, नगरपरिषदों में सड़कों के सुधार, गड्ढÞे भरने, मरम्मत करने और टूटे डिवाइडरों को ठीक करने को लेकर प्रदेश के सभी जिलों में 5057 शिकायतें की जा चुकी हैं। इसके साथ ही नगर निगमों से संबंधित 3098 मामले दर्ज हुए हैं जबकि असलियत यह है कि हजारों कालोनियों में उखड़ी सड़कों से होकर लोग गुजरते हैं और कम्प्लेन नहीं करते। अगर ऐसे भी मामले शामिल होते तो यह आंकड़ा काफी अधिक होता। निकायों सड़क अधोसंरचना विकास और सड़कों पर नाले-नालियों से संबंधित 4701 शिकायतों पर भी अमल नहीं किया जा सका है।