संजीवनी क्लीनिक में मरीजअब फार्मास्टि या स्टॉफ नर्सों के भरोसे
भोपाल
राजधानी भोपाल में दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर संजीवनी क्लीनिक खोले गए थे, लेकिन मात्र तीन साल में ही यह क्लीनिक दम तोड़ने लगे हैं। क्लीनिक में न ही डॉक्टर मिल रहे हैं और न ही दवाएं। 160 प्रकार की पैथोलॉजी जांच में से मात्र कुछ जांचे हो रही हैं, उसके लिए कुशल स्टॉफ नहीं है। क्लीनिकों पर पहुंचने वाले मरीजों का इलाज फार्मास्टि या स्टॉफ नर्सों को करना पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा रोशनपुरा झुग्गी बस्ती स्थित संजीवनी क्लीनिक में दिखाई दिया, यहां पदस्थ एक मात्र डॉक्टर ने भी इस्तीफा दे दिया है, डॉक्टर नहीं होने से मरीजों का इलाज स्टाफ नर्स और फार्मास्टि को करना पड़ रहा है।
वेतन कम, इसलिए नहीं मिल रहे डॉक्टर और कर्मचारी
संजीवनी क्लीनिक में एमबीबीएस डॉक्टर को 25 हजार रुपए के वेतन पर नियुक्ति दी जा रही है। इसमें डॉक्टर को रोजाना 25 मरीज से ज्यादा देखने पर 40 रुपए प्रति पेशेंट इन्सेंटिव दिया जा रहा है। लेकिन अधिकतम इन्सेंटिव 75 हजार से ज्यादा नहीं है। संजीवनी क्लीनिक में स्टाफ नर्स को 20 हजार रुपए प्रतिमाह और लैब टेक्नीशियन को 15 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं।