September 25, 2024

बिहार में दिलदहलाने वाली घटना ,23 महिलाओं की जानवरों की तरह की नसबंदी

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खगड़ि‍या
 खगड़‍िया के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में दिल दहला देने वाली तस्‍वीरें सामने आई हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की लापरवाही ऐसी कि महिलाएं बंध्‍याकरण के नाम से घबराने लगें। बिहार के खगड़िया जिले के अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिलाओं का बंध्याकरण जानवरों की तरह किए जाने का मामला सामने आया है। जहां चिकित्सकों ने बंध्याकरण के मानकों को ताक पर रखकर महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया है। महिलाओं का आरोप है कि बिना बेहोश किए या दर्द का इंजेक्‍शन लगाए बिना ही ऑपरेशन जानवारों की तरह कर दिया गया। बताते चलें 23 महिलाओं का जानवरों की तरह ऑपरेशन कर भी दिया गया, मगर सात महिलाओं ने दर्द से चीखती चिल्‍लाती महिलाओं की हालत देखकर ऑपरेशन कराने से इनकार कर दिया और हंगामा मचाकर किसी तरह अपनी जान छुड़ायी। बताते चलें, कि मिशन 60 डेज के तहत स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने की कवायद की गई, लेकिन बावजूद इसके बिहार में ऐसे-ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं कि लोगों की रूह कांप जाए।

स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही
खगड़िया के अलौली स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में बंध्‍याकरण के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों ने मानकों को ताख पर रखकर नया कारनामा कर दिखाया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बंध्‍याकरण कराने आई 30 महिलाओं का बंध्‍याकरण होना था। जिन्‍हें बिना बेहोशी या दर्द कम करने का इंजेक्शन दिये बगैर ही जानवरों की तरह उनका ऑपरेशन कर दिया। यह मामला तब प्रकाश में आया जब चीखती चिल्‍लाती महिलाओं को देखकर दूसरी महिलाओं ने हंगामा करना शुरू कर दिया। महिलाओं का आरोप है कि बंध्‍याकरण के दौरान उनके साथ अमानवीय व्‍यवहार भी किया गया और होश में ही उन्‍हें चीरा लगा दिया गया। जिससे उन्‍हें असहनीय दर्द होने लगा। उनका कहना है कि जिस एनजीओ की ओर से उनका बंध्‍याकरण किया जा रहा था उन्‍होंने लगभग 23 महिलाओं का ऑपरेशन इसी तरह कर दिया।

 

चीखती चिल्‍लाती महिलाओं को तड़पने के लिए छोड़ दिया
महिलाओं का कहना है कि होश में ही उनका ऑपरेशन कर दिया गया। बंध्‍याकरण कराने पहुंची कुमारी प्रतिमा का कहना है कि जिस तरीके से उनका ऑपरेशन किया जा रहा था जिसका उन्‍होंने विरोध भी किया, लेकिन ऑपरेशन करने वालों ने कहा ऐसे ही होता है। दर्द थोड़ा होगा, ऐसा कह कर उन्‍होंने बिना कोई दवा दिए ही चीरा लगा दिया। प्रतिमा बताती हैं कि उन्‍हें नस खिंचाने जैसा दर्द होने लगा और जब उन्‍होंने इसका विरोध किया तो उन्‍हें दर्द में तड़पता छोड़ दिया। उन्‍होंने बताया कि वो दर्द से चीखती रहीं, चिल्‍लाती रहीं लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। अलौली अस्‍पताल में मौजूद महिलाओं की मानें तो वे ऑपरेशन के समय दर्द से कराहती रहीं थीं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। महिलाओं का आरोप है कि जिस समय ऑपरेशन किया जा रहा था वहां डॉक्टर भी मौजूद नहीं थे। उन्हें जबरन ऑपरेशन थियेटर में ले जाकर ऑपरेट कर दिया गया। बंध्याकरण के दौरान महिलाओं को बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग पर प्रश्‍न चिन्‍ह
वहीं पूरे मामले पर सिविल सर्जन अमरकांत झा ने कहा कि इस मामले की जांचकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसा क्यों हुआ? इसमें कौन से कर्मचारी और चिकित्सक शामिल थे, इसका पता लगाया जाएगा और जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। महिलाओं ने बताया कि उन्हें जमीन पर लिटा दिया गया था। इंजेक्शन नहीं दिया गया था। कोई भी सुविधा नहीं दी गई थी। घटना के बाद खगड़िया के स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है।

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