November 23, 2024

समता, न्याय और संवैधानिक अधिकारों पर मध्यप्रदेश के जनसंगठनों द्वारा जनसुनवाई आयोजित

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भोपाल
आज करीबन 50 युवा बुजुर्ग साथी भाई बहनों से मध्य प्रदेश के करीब 24 जिलों से पधारकर किसानी, श्रमिक अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा जल, जंगल, जमीन और जाति- सांप्रदायिकता के आधार पर हिंसा, सभी समस्याओं पर गहरी जन सुनवाई हुई। इससे यह बात सामने आई है किमध्य प्रदेश शासन शराब कि ही नहीं धर्मांधता का नशा भी फैला रही हैं। अस्तित्व के सवालों पर सुनवाई और शासकीय अधिकारी, जन प्रतिनिधी और संस्थाएँ कोई जवाब मध्यप्रदेश मे नहीं दे रहे हैं। अस्मिता के बदले हम इन्हीमुद्दों, अधिकारों पर संघर्ष और निर्माण का संकल्प व्यक्त कर चुके हैं। न्यायदाता मण्डल ने विश्वास दिया हैं कि उनकी रिपोर्ट निश्चित ही सभी हकीकतों को जोड़कर, स्थानीय से राष्ट्रीय तक कि स्थिति का विश्लेषण और शासन तथा समाज के समक्ष सुझाव सिफ़ारिश और आगे कि दिशा भी सामने प्रस्तुत करेंगे। आयोजक आओर सहभागी जन संगठनो की ओर से इस जन सुनवाई के निष्कर्षों सामने आई चुनौतियों को आगे मंजिल तक ले जाने की तैयारी रखना तय किया हैं।

राज्य व केंद्र सरकार की तमाम जनविरोधी नीतियों सहित भूमि अधिग्रहण, विस्थापन और बड़े बांधों के खिलाफ मध्यप्रदेश के जनसंगठनों ने लगातार अपनी आवाज बुलंद की है। लेकिन इन तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुये प्रदेश सरकार लगातार तथाकथित विकास परियोजनाओं के नाम पर लोगों को उजाड़ रही है। साथ ही स्वास्थ्य की  शिक्षा लोगों से दूर होते जा रही हैं। प्रदेश मे बेरोजगारी चरम पर है और सांप्रदायिक भाईचारा लगातार खराब हो रहा हैं ।  
प्रदेश के जन संगठनो ने इस सभी मुद्दों पर सरकार से संवाद करने की लगातार कोशिश पिछले कई सालों मे निरंतर की हैं, परंतु पिछले कई वर्षों से संवादहीनता मध्यप्रदेश सरकार की विशेषता बन चुका है। प्रदेश की भाजपा सरकार लोकतांत्रिक तरीके से आवाज़ उठाने वाले जनसंगठनो और लोगों की आवाज़ सुनने को तैयार नहीं है। कानून और संवैधानिक मूल्यों के आधार पर, अहिंसा और सत्याग्रह के रास्ते संघर्ष करने वाले सभी जनसंगठन और समुदाय चाहते है कि उनकी सुनवाई हो, उन्हे न्याय मिले। जनता की चुनी हुई सरकार जनता से संवाद करे, केवल अपनी मनमर्जी ना थोपे।

जब जनता की चुनी हुई सरकार जनता से अपना मुंह फेर ले तो ऐसे समय में जरूरी हो जाता है कि जनता अपनी जनसुनवाई खुद करे। इसी के चलते  प्रदेश जनसंगठनों ने मिलकर आज 19 जुलाई 2022 को भोपाल के गांधी भवन में एक प्रदेश स्तरीय जनसुनवाई का आयोजन चार सत्रों “जल, जंगल, जमीन और विस्थापन”, “सांप्रदायिकता/हिंसा/मानवाधिकार हनन”, “खेती किसानी/मजदूर अधिकार” और स्वास्थ्य / शिक्षा/रोजगार के तहत की गई।  किया। जनसुनवाई में ज्यूरी (‘न्यायदाता पैनल’) के रूप मे परंजय गुहा ठाकुरता (पत्रकार एवं लेखक) इरफान इंजीनियर (मानवाधिकार विशेषज्ञ), पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे उपस्थित थे। इस ‘न्यायदाता पैनल’ के समक्ष मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, विदिशा, हरदा, रीवा, सिहोर, देवास, इंदौर, रायसेन, भोपाल, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सागर, छतरपुर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, राजगढ़, नीमच, बेतुल, गुना, खरगोन आदि जिलों से आये सैकड़ों किसान, मजदूर, शहरी गरीब, महिलाएं, शामिल हुये और अपनी हकीकत नयायदाता पैनल के समक्ष रखी । पीड़ितों / प्रभावितों ने लिखित शिकायत भी प्रस्तुत की।

जन सुनवाई की शुरुवात सबै के परीचय के साथ हुई, सुश्री आराधना भार्गव द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा मे बारे बताया गया। प्रथम सत्र “जल, जंगल, जमीन और विस्थापन”, का संचालन मेधा पाटकर द्वारा किया गया जिसमे नर्मदा बचाओन आंदोलन के विजय भाई, बारगी विस्थापित संघ के शारदा यादव, बाला पटेल छिंदवाड़ा, जिंदगी बचाओ अभियान के रामप्रसाद काजले के साथ ही साथ चेतन कुंम्हारे,संदीप यादव, पुष्परज, डॉ संतोष,  पुजा ने  भी विस्थापन, जल, जंगल, जमीन अधिकारो के हनन की मामले पैनल के समक्ष प्रस्तुत किए।

द्वितीय सत्र “सांप्रदायिकता/हिंसा/मानवाधिकार हनन” का संचालन विजय कुमार द्वारा क्या गया। इस सत्र मे खरगोन से आए अब्दुल मालिक, मोहम्मद जफर, इंदौर, राकेश मिश्रा, वाशीद भोपाल, मोहन इंगले, जावेद भाई हरदा, शाहिद मंसूरी उज्जैन ने सांप्रदायिक उन्माद और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों मे प्रस्तुति दी।

तीसरे सत्र स्वास्थ्य / शिक्षा/रोजगार का संचालन अमूल्य निधि द्वारा किया गया। इस सत्र मे सिलिकोसिस पीड़ित संघ के दिनेश रायसिंह, कलु भाई और माधवी ने सिलिकोसिस पीड़ितों की बात रखी। सत्र मे आदिवासी दलित मोर्चा के विनोद पटेरिया आदिवासी स्वास्थ्य के मुद्दे पर बात रखी। छत्र संगठन के सुमेर सिंह ने बेरोजगारी के बारे स्थिति को पैनल के समक्ष रखा। शिक्षा की स्थिति के बारे मे राजकुमार भाई ने बात रखी, इसी सत्र मे बुंदेलखंड जीविका संगठन के डॉ वर्मा और सम्राट अशोक शक्ति संगठन की रंजना कुशवाहा और भारती परोचे ने भी बात रखी।

चौथे सत्र “खेती किसानी/मजदूर अधिकार” का संचालन डॉ सुनीलम ने किया। इस सत्र मे श्रमिक जनता संघ के संजय चौहान, शहरी मजदूर संगठन, भोपाल की सरस्वती के साथ ही देवीसिंह भाई धार, दिलीप शर्मा छतरपुर, इंद्रजीत सिंह रीवा, संदीप ठाकुर सागर, शारदा यादव, एडवोकेट आराधना भार्गव ने अपनी बात रखी। 

 सत्रों मे भागीदारों की प्रस्तुती के बाद संचालकों ने संक्षिप्त मे सदन के समक्ष सभी सत्रों का सर रखा । कार्यक्रम की अंतिम कड़ी के रूप मे सभी सत्रों के पैनल सदस्यों ने अपनी बात रखते हुये आज प्रस्तुत सभी मामलों को सरकार के समक्ष मजबूती के साथ रखने की बात कही।  आज के कार्यक्रम मे विधायक मस्कले जी शामिल हुये और उन्होने लोगों की मांगो का समर्थन किया।

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