बाबूओं से अफसर बने अधिकारियों पर भरोसा पर भरोसा निगम को पडा भारी
भोपाल
नगर निगम में अफसरों की चापलूसी करके बाबूओं से अफसर बने जोनल अधिकारियों पर भरोसा करना निगम प्रशासन को भारी पड़ गया है। इस बात का खुलासा राजस्व वसूली की समीक्षा बैठक के दौरान हुआ। बीएमसी कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी ने जोनल अधिकारियों और सहायक यंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया।
राजनीतिक दखल के कारण नगर निगम में बाबूओं को जेडओ बना रखा गया है। नगर निगम की मजबूरी है कि उनके पास जोनल अधिकारी के पद के अनुरुप योग्य अफसर नहीं है। यही कारण है कि यहां बाबूओं की अफसरशाही चल रही है।
यह है जेडओ बनाने की मजबूरी
निगम में बाबूओं को जोनल अधिकारी बनाना नगर निगम की मजबूरी है। नगर निगम में जोनल अधिकारी बनने के अनुरूप योग्य अफसर नहीं है। सेवा भर्ती नियम 2000 के मुताबिक जोनल अधिकारी के लिए सहायक राजस्व अधिकारी (एआरओ) होना चाहिए। एआरओ सहायक आयुक्त समकक्ष होता है। निगम में 8 पद खाली पड़े हुए हैं। इसके नीचे जाएं तो मुख्य राजस्व निरीक्षक (आरआई) होता है। इसके 14 पद खाली पड़े हुए हैं।
25 करोड़ का था टारगेट, 12 करोड़ में सिमटी वसूली
12 नवंबर को आयोजित लोक अदालत में वसूली का लक्ष्य 25 करोड़ रखा गया था। इसमें 12 करोड़ रुपए की वसूली हुई। ज्ञात हो कि पिछली बार लोक अदालत के जरिए करीब 32 करोड़ की वसूली हुई थी। नगर निगम में राजस्व वसूली का ग्राफ जोनल अधिकारियों की लापरवाही के कारण लगातार गिर रहा है। इसके बावजूद बाबुओं को इस महत्वपूर्ण पद से हटाया नहीं जा रहा।