November 27, 2024

हार्दिक पटेल का BJP के टिकट पर चुनाव लड़ना कितना सही? जानें पाटीदार समुदाय का मूड

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अहमदाबाद 
 गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हार्दिक पटेल की राह आसान नजर नहीं आ रही है। उनसे उनका समुदाय यानी पटेल समुदाय ही नाराज दिख रहा है। हार्दिक 2015 में पाटीदारों द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर सरकार खिलाफ किए गए व्यापक आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह इस साल की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए और वीरमगम विधानसभा क्षेत्र से बतौर भाजपा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

हार्दिक पटेल ने पाटीदार अनामत संघर्ष समिति (PAS) के बैनर तले आंदोलन किया था और गुजरात में पाटीदारों को ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग की थी। उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार पर तानाशाही तरीके से काम करने का आरोप लगाया था। वह अपने आंदोलन को जारी रखते हुए बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस साल की शुरुआत में उन्होंने भगवा पार्टी का दामन थाम लिया। हार्दिक पटेल को कई मुद्दों पर भाजपा, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मुखर आलोचक के रूप में जाना जाता था।

रिपोर्ट के मुताबिक, अपने 23 वर्षीय बेटे नीसीज पटेल को खोने वाले प्रवीणभाई पटेल और उनकी पत्नी हार्दिक के इस कदम से काफी नाराज हैं। उन्होंने कहा, "मेरा बेटा दूध खरीदने के लिए बाहर गया था। पुलिस फायरिंग में उसकी मौत हो गई। विरोध-प्रदर्शन में उसकी कोई भागीदारी नहीं थी। वह केवल 24 साल का था। पुलिस ने फायरिंग का सहारा लिया था। मेरे बेटे की मौत के बाद हार्दिक पटेल कभी नहीं हमसे मिलने के लिए आए।" पाटीदार समुदाय के कुछ और लोगों ने हार्दिक पटेल के इस कदम का विरोध किया है। वे खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। आपको बता दें कि 2015 के इस आंदोलन में 14 लोगों की जान चली गई थी। पाटीदार समुदाय के कुछ लोगों के कहना है कि हार्दिक पटेल ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए समुदाय का इस्तेमाल किया था। एक और पाटीदार 38 वर्षीय प्रतीक पटेल को मेहसाणा में आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में कथित रूप से गोली लग गई थी। वह कोमा में चले गए थे। उनके शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मार गया था। प्रतीक के परिवार का दावा है कि वह पेट्रोल पंप पर अपनी बाइक के लिए पेट्रोल लेने के लिए गया था, जिस दौरान वह झड़प फंस गया।

बात करते हुए प्रतीक ने कहा, "मुझे याद नहीं है कि मेरे साथ क्या हुआ था क्योंकि मैंने अपनी यादें खो दी हैं। मेरे परिवार के लोगों ने मुझे बताया है कि मैं पेट्रोल खरीदने गया था और मुझे गोली लगी थी जो पुलिस द्वारा चलाई गई थी। मेरे सिर में गोली लगी थी। मैं भाग्यशाली था कि मैं बच गया। मुझे अपने इलाज के लिए समर्थन चाहिए। हार्दिक पटेल ने अपने फायदे के लिए पाटीदार समुदाय का इस्तेमाल किया है। अगर मैं हार्दिक को देखता हूं तो उसे दो थप्पड़ मारूंगा। वह समुदाय के लिए देशद्रोही है।"

प्रतीक पटेल के पिता बाबूभाई पटेल ने कहा, "मैंने अपने बेटे के इलाज पर 70-75 लाख रुपये खर्च किए हैं। मैंने अपना सारा सामान बेच दिया। इसमें से केवल एक अंश राज्य सरकार द्वारा दिया गया है और वह भी तब दिया गया था जब आनंदीबेन पटेल मुख्यमंत्री थीं। हमें और मदद की ज़रूरत है।"

पाटीदार समुदाय के कुछ और लोगों ने यह भी उल्लेख किया कि हार्दिक पटेल सहित पाटीदार आंदोलन के नेताओं ने शपथ ली थी कि वे चुनावी राजनीति में शामिल नहीं होंगे, लेकिन केवल हार्दिक पटेल ही अपने वादे से मुकर गए। लालजीभाई ने कहा, "हमने तय किया था कि हम चुनावी राजनीति में प्रवेश नहीं करेंगे। हार्दिक पटेल के भाजपा में शामिल होने के बाद गुजरात में पाटीदार समुदाय के सदस्यों में बहुत गुस्सा है।''
 

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