नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे से खुलासा- पूर्वांचल की महिलाओं में बढ़ रहा मोटापा, बच्चों में घट रहा
गोरखपुर
पूर्वी यूपी में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। सबसे तेजी से वजन महिलाओं का बढ़ रहा है। बीते पांच साल में इनकी संख्या में इजाफा हुआ है। जिले की हर चौथी महिला मोटापा की शिकार है। पांच साल से कम उम्र के बच्चे भी मोटापा की चपेट में है। हालांकि इनकी संख्या में बीते पांच साल में गिरावट हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की पांचवीं रिपोर्ट के मुताबिक जिले की हर चौथी किशोरी और महिला का वजन निर्धारित मानकों से ज्यादा है। पांच साल पहले 15 से 49 साल के आयु वर्ग में जिले में 20 महिलाएं मोटापे से ग्रस्त थीं। वहीं अब 21.3 महिलाएं अधिक वजन की समस्या से जूझ रही हैं। डॉ. सुरहिता करीम , स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने कहा कि महिलाओं में मोटापा कई बीमारियों को दावत देता है। इससे मां बनने में दुश्वारी होती है। मोटी महिलाएं देर से गर्भधारण करती है। 35 वर्ष से अधिक उम्र में मोटापा के कारण दिल की बीमारी, कोलेस्ट्राल बढ़ना, हड्डियां कमजोर, कैल्शियम की कमी जैसी समस्या हो जाती है।
मोटापे से होती हैं बीमारियां
जिला अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि इनसे कार्डियोवस्कुलर और डायबिटीज टाइप-2 हो जाता है। मोटे लोगों में गाल ब्लैडर की पथरी, अर्थराइटिस, स्लीप एप्निया के साथ ही संतानहीनता का खतरा रहता है। इतना ही नहीं मोटापे के कारण जिले की करीब 64 फीसदी गर्भवतियां हाईरिस्क की श्रेणी में हैं। मोटापे से महिलाओं-पुरुषों में मधुमेह, रक्तचाप के अलावा बीमारियां भी बढ़ी हैं।
बच्चों की रिपोर्ट सुधरी
जिले में एक तरफ महिलाओं में मोटापा बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मोटापा के मामले फिलहाल कम हुए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की चौथी रिपोर्ट में यह आंकड़ा 1.6 फीसदी था, जो पांचवीं रिपोर्ट में गिरकर 1.3 फीसदी हो गया, जो एक सकारात्मक संकेत है।
सेल्स की संरचना को पहुंचता है नुकसान
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश चंद्र शाही ने बताया कि मोटापा से पीड़ित लोगों के खून में वसा का स्तर बढ़ने से मांसपेशियों के सेल्स में तनाव बढ़ जाता है। जिससे सेल्स की संरचना को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर के त्वचा और अंगों को नुकसान होता है।