डिंपल के एक फोन कॉल से कैसे बदले शिवपाल, किया ये बड़ा खुलासा
मैनपुर
उत्तर प्रदेश में इस समय मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव की चर्चा जोरों पर है। यह पूरा चुनाव चाचा-भतीजा-बहु और चेले के बीच सिमटा हुआ है। सब एक दूसरे को साधने में लगे हैं। इसी बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने इस बात का खुलासा किया है कि उन्होंने अपने भतीजे का अखिलेश का समर्थन क्यों किया। शिवपाल का यह बयान कई मायने में अहम है। शिवपाल का दावा है कि अखिलेश की पत्नी और मैनपुरी से सपा की उम्मीदवार डिंपल ने फोन करके उनसे चुनाव में सहयोग मांगा था जिसके बाद वो सपा के लिए प्रचार करने को राजी हुए।
डिंपल यादव के फोन ने बदला शिवपाल का मूड
हालांकि शिवपाल और उनके भतीजे अखिलेश यादव के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण हैं, डिंपल यादव (अखिलेश की पत्नी) के एक फोन कॉल ने उनका मन बदल दिया और उन्होंने उनके लिए प्रचार करने का फैसला किया। शिवपाल यादव ने शनिवार को मैनपुरी में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, अब हम साथ रहेंगे। शिवपाल बोले, " "बहू ने मुझे बुलाया और कहा, अंकल, मैं (उपचुनाव) लड़ूंगी, हमारे साथ आओ," जिस पर मैंने उसे अपनी गवाह रहने के लिए कहा और अगर अखिलेश ने फिर से कुछ गलत किया, तो मेरे साथ खड़े होने के लिए।"
मैनपुरी में सपा की जीत में जुटे शिवपाल
शिवपाल यादव का समर्थन मैनपुरी जीतने के सपा के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि समाजवादी पार्टी को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के रघुराज सिंह शाक्य से कड़ी चुनौती मिल रही है। यादव परिवार में दरार का फायदा उठाने के लिए शाक्य को भगवा पार्टी ने मैदान में उतारा है क्योंकि वह शिवपाल के पूर्व वफादार हैं। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच हाल ही में हुई दोस्ती, छह साल पहले अलग होने के बाद से चौथी ऐसी घटना है, जो महत्व रखती है क्योंकि दोनों 2016 से एक-दूसरे के साथ तनावपूर्ण संबंध साझा कर रहे हैं।
परिवार में कलह के बाद बनाई थी PSPL
परिवार में मचे कलह की वजह से शिवपाल यादव ने 2018 में PSPL का गठन किया था। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव फिरोजाबाद से सपा के खिलाफ लड़ा। इस साल की शुरुआत में हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के साथ गठबंधन किया था, लेकिन उन्हें केवल एक सीट जसवंतनगर दी गई। जहां से दिग्गज नेता ने सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा था।
शिवपाल-अखिलेश में बढ़ गए थे मतभेद
हालांकि चुनाव नतीजों के बाद दोनों के रिश्तों में एक बार फिर खटास आ गई और शिवपाल यादव भी बीजेपी का पक्ष लेते नजर आए। खासकर राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जहां दिग्गज नेता ने सपा में अपनी "उपेक्षा" की शिकायत की। वहीं अखिलेश यादव ने कई मौकों पर भगवा पार्टी के साथ अपने चाचा के मेलजोल को लेकर तंज कसा था। यह संकेत देते हुए कि यादव परिवार की युवा पीढ़ी को अब पार्टी मामलों को देखना है।
शिवपाल ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा मैनपुरी चुनाव
शिवपाल यादव ने कहा, "हम एक या दो चुनाव और लड़ेंगे। इसलिए यह मेरी प्रतिष्ठा का भी सवाल है। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की अनुपस्थिति में, यह मेरी प्रतिष्ठा का भी सवाल है। इसलिए मैं आप सभी से हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि चुनाव प्रचार शुरू करें।" मैनपुरी उपचुनाव 5 दिसंबर को होना है और वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी।