प्रमुख अभियंता ने वसूली से हाथ खींचे, जलसंसाधन के 324 करोड़ रुपए नहीं चुका रहे नगरीय निकाय
भोपाल
जलसंसाधन विभाग को नगरीय निकायों से 324 करोड़ के बकाया राजस्व की वसूली करने में पसीना आ रहा है। पिछले चार-पांच साल के बकाया राजस्व की प्राप्ति न होने के कारण विभाग का राजस्व वसूली लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। विभाग के प्रमुख अभियंता ने जलसंसाधन विभाग के एसीएस को पत्र लिखकर राजस्व वसूली लक्ष्य पचास करोड़ रुपए घटाने का आग्रह किया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जलसंसाधन विभाग उद्योगों, नगरीय निकायों, मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी और कृषि विभाग को हर साल अपने बांधों और जलाशयों से करोड़ों लीटर पानी देता है। इस जल के संग्रहण और वितरण में काफी राशि खर्च होती है लेकिन जलसंसाधन विभाग के पानी का उपयोग करने के बाद कई विभाग समय पर विभाग को इस पानी के एवज में दिये जाने वाले राजस्व का भुगतान नहीं कर रहे है। इससे जलसंसाधन विभाग के वर्ष 22-23 के राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी बिजली बनाने के लिए जलाशयों से हर साल पानी लेती है। प्रदेश की औद्योगिक इकाईयों को हर साल जलसंसाधन विभाग काफी पानी देता है। प्रदेश के किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए कृषि विभाग को भी जलसंसाधन विभाग करोड़ों लीटर पानी हर साल देता है। इसी तरह नगरीय निकायों को भी हर साल भारी मात्रा में जलापूर्ति की जाती है। प्रदेश के नगरीय निकायों को अलग-अलग क्षेत्रों में किए गए जलप्रदाय के 324 करोड़ रुपए का राजस्व पिछले चार साल से नहीं मिला है। बार-बार पत्र लिखने के बाद भी नगरीय निकाय यह राशि नहीं दे रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी राजस्व वसूली के लिए बैठकें लेकर विभाग के आला अफसरों को लक्ष्यपूर्ति के लिए कह चुके है। लेकिन जब विभाग राशि ही नहीं दे रहे है तो वसूली का लक्ष्य कैसे पूरा हो। इसको देखते हुए अब जलसंसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता मदन सिंह डाबर ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि इस साल के लिए राजस्व संग्रहण का निर्धारित लक्ष्य 650 करोड़ प्राप्त किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है इसलिए विभाग का राजस्व संग्रहण का लक्ष्य पुनरीक्षित करते हुए घटाकर 650 करोड़ से 600 करोड़ करने का कष्ट करें।