November 24, 2024

आजादी के नारों के आगे झुका चीन, बीजिंग समेत कई शहरों में पाबंदियां कम; शी जिनपिंग पड़े नरम

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चीन
कोरोना से निपटने के लिए लागू की गई सख्त पाबंदियों के खिलाफ चीन में लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं। इसके चलते अब शी जिनपिंग सरकार को पीछे हटना पड़ा है। यह पहला मौका है, जब चीन की सरकार को लोगों के आंदोलन के चलते अपने फैसले को बदलना पड़ा है। चीन सरकार का कहना है कि जीरो कोविड पॉलिसी लागू रहेगी, लेकिन अब इसमें ढील दी जाएगी। बीजिंग में अपार्टमेंट्स के लिए जाने वाले रास्तों को रोका नहीं जाएगा। इसके अलावा ग्वांग्झू में मास टेस्टिंग के नियम भी ढीले कर दिए गए हैं। उइगुर बहुल प्रांत शिनजियांग में उन इलाकों को खोल दिया गया है, जहां कोरोना के केस कम हैं। 

बीजिंग प्रशासन का कहना है कि वह अपनी कंटेनमेंट पॉलिसी में ढील देगा, जिसके तहत उन अपार्ट्मेंट्स को ब्लॉक कर दिया जाता है, जहां ज्यादा केस मिले हैं। अब गेट्स को ब्लॉक नहीं किया जाएगा और किसी की एंट्री बाधित नहीं होगी। चीन में सरकार के खिलाफ महीनों से नाराजगी चल रही है, लेकिन शिनजियांग प्रांत के उरुमकी इलाके में आग लगने से 10 लोगों की मौत होने के बाद विरोध खुलेआम शुरू हो गया। एक बार आंदोलन शुरू होने के बाद तो प्रदर्शन शहर दर शहर दिखने लगे। बीजिंग, शंघाई, शिनजियांग, वुहान समेत कई शहरों के विश्वविद्यालयों में भी छात्रों और अन्य लोगों ने सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। 

इन विरोध प्रदर्शनों के चलते चीन की दुनिया भर में छवि खराब हो रही है। यूरोप, एशिया और अमेरिका के कई शहरों में चीनी नागरिकों का समर्थन करते हुए प्रदर्शन किए गए हैं। हॉन्गकॉन्ग के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में दर्जनों प्रदर्शनकारियों ने चीन सरकार की ओर से लागू प्रतिबंधों का विरोध किया। इसके अलावा तुर्की में भी चीन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। टोक्यो में भी एक रेलवे स्टेशन पर करीब 100 लोगों ने चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया है। बता दें कि चीन में आंदोलन करने वाले लोगों ने हम क्या चाहते आजादी और शी जिनपिंग गद्दी छोड़ो जैसे नारे भी लगाए। बीते कुछ महीनों में चीन में उग्र प्रदर्शन देखने को मिले हैं, जो आमतौर पर नजर नहीं आते हैं। 
 

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