September 23, 2024

मुख्यमंत्री शिवराज ने Uniform Civil Code के लिए समिति बनाने की घोषणा की

0

भोपाल
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने  घोषणा की कि राज्य में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए एक समिति बनाई जाएगी.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिले के चाचरिया पाटी में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा) जागरूकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों की जमीन लेने के लिए लोग आदिवासी के नाम से जमीन ले लेते हैं तथा कई बदमाश ऐसे भी हैं जो आदिवासी की बेटी से शादी करके जमीन उसके नाम से ले लेते हैं.

मुख्यमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत करते हुए कहा, ‘भारत में अब समय आ गया है कि एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. कोई व्यक्ति एक से ज्यादा शादी क्यों करे. एक देश में दो विधान क्यों चलें, एक ही होना चाहिए. मध्य प्रदेश में भी मैं समिति बना रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ‘समान नागरिक संहिता में एक पत्नी रखने का अधिकार है.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग शादी जैसे पवित्र बंधन के नाम पर जनजातीय भाई-बहनों की जमीन हड़पने का छल करते हैं, पेसा कानून के तहत ग्राम सभा ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर सकेगी.

, विपक्षी कांग्रेस ने चौहान के बयान की आलोचना की और सवाल किया कि क्या भाजपा आदिवासी रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है, जो बहुविवाह की अनुमति देते हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हाफीज ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने बड़वानी में बयान दिया, जो एक आदिवासी बहुल जिला है. क्या वह आदिवासियों के रीति-रिवाजों पर टिप्पणी कर रहे थे और उनकी संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे थे, जिसके लिए संविधान में भी विशेष प्रावधान हैं?’

हाफिज ने विधानसभा चुनाव से पहले ‘राजनीतिक लाभ’ के लिए इस तरह के बयान देने के लिए भाजपा पर भी निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या उन्होंने आरक्षण समाप्त करने के इरादे से समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया है, या सरकार आदिवासी रीति-रिवाजों को बदलना चाहती है. इसके अलावा, अगर वे वास्तव में गंभीर हैं, तो राज्य विधानसभा इन मुद्दों पर चर्चा करने की जगह है, न कि राजनीतिक मंच.’

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, ‘हम तथ्यों और रिपोर्टों के आधार पर विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं.’

बता दें कि समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के चुनावी वादों में प्रमुख रहा है. समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के चुनावी वादों में से एक रहा है.

बीते 27 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि उनकी सरकार समानता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने पर ‘गंभीरता’ से विचार कर रही है.

उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने पर बहुत गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि यह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के मुख्य घोषणा-पत्र का हिस्सा था.

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जारी अपने घोषणा-पत्र  में भी भाजपा ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने का वादा किया है.

इससे पहले गुजरात सरकार ने 29 अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए एक समिति बनाएगी.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भी भाजपा ने सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता लागू करने, सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने और विभिन्न क्षेत्रों में रियायतें देने का वादा किया गया है.

बीते मई महीने में भाजपा शासित उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था.

इससे पहले मार्च में नवगठित सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने की घोषणा की थी.

समान नागरिक संहिता को सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक समान समूह के रूप में संदर्भित किया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *