November 24, 2024

दक्षिण अफ्रीका से भी चीतों के आने का सस्पेंस खत्म, दोनों देशों में हो गया समझौता

0

भोपाल:
 दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आने का रास्ता साफ हो गया है। अब सारे सस्पेंस खत्म हो गए हैं। दक्षिण अफ्रीका (Cheetah project way clear) के वानिकी और पर्यावरण विभाग के मंत्री बारबरा क्रीसी ने प्रोजेक्ट चीता के लिए भारत के साथ एमओयू को मंजूरी दे दी है। पेपर अब राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के पास है। यह जानकारी हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को सूत्रों ने दी है। इसके बाद 12 और चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाएंगे, जहां पहले से नामीबिया से आए आठ चीते रह रहे हैं। इन आठ चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है जो पूरी तरह से शिकार कर रहे हैं।

एमओयू में हो रही बार-बार देरी

जुलाई 2022 में भारत ने दक्षिण अफ्रीका से चीता प्रजोक्ट के लिए 12 चीतों को भेजने का अनुरोध किया था। हालांकि दोनों देशों में स्वंयभू संरक्षणवादियों की एक लॉबी की नकारातत्मक रिपोर्ट के बाद एमओयू में बार-बार देरी हुई है। शुरुआत में भारत में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीता एक साथ आने थे। कूनो के लिए चुने गए 12 चीतों में से नौ पहले से ही लिम्पोपो प्रांत के रूइबर्ग में और बाकी फिंडा, क्वाजुलु-नटाल प्रांत में क्वारंटीन है। अब इन्हें आने का रास्ता साफ हो गया है।

दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आने का रास्ता साफ

कैबिनेट मंत्री बारबरा क्रीसी ने एमओयू को मंजूरी दे दी है और इसे राष्ट्रपति के ऑफिस में साइन के लिए भेज दिया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र के लिए यह महत्वकांक्षी परियोजना है। आठ नामीबियाई चीतों के आने से इसमें मदद मिली है।

इसके खिलाफ हो रही थी लॉबिंग

एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि कुछ संरक्षणवादी हैं जो चीता प्रोजेक्ट से बाहर किए जाने से नाराज हैं। इसलिए वे सभी इसके खिलाफ हैं और विभिन्न संगठनों को दक्षिण अफ्रीका से चीतों को रिलोकेट को रोकने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वे केवल भारत के लिए प्रतिष्ठित परियोजना के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कूनो में मौजूदा वहन क्षमता अधिकतम 21 चीतों की है, एक बार विस्तार होने के बाद यहां 36 चीते रह सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *