November 26, 2024

हिमाचल प्रदेश: जिसने जीती कांगड़ा, उसी का सिंहासन, Exit Poll में कांगड़ा का किंग कौन?

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 नई दिल्ली 

हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के नतीजे कल आएंगे लेकिन उससे पहले दोनों राज्यों में दोनों सियासी दल (कांग्रेस और बीजेपी) अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में मुकाबला दिलचस्प है। यहां पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज 1990 के दशक से ही है। कांग्रेस को इस रिवाज और सिलसिला का जारी रहने का अनुमान है, जबकि बीजेपी दावा कर रही है कि उत्तराखंड की ही तरह यहां भी ये परंपरा टूट जाएगी।

कांगड़ा से ही जाता है शिमला की सत्ता का रास्ता:
हिमाचल प्रदेश में ये भी कहा जाता है कि कांगड़ा से ही होकर शिमला के सियासी सत्ता का रास्ता जाता है। यानी जो कांगड़ा पर राज करेगा, वही हिमाचल का सरताज होगा। कांगड़ा इलाका राज्य में किंगमेकर रहा है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश को तीन प्रमुख क्षेत्रों में बांटा जाता है- कांगड़ा, मंडी और शिमला। 25 विधानसभा सीटों के साथ कांगड़ा सबसे बड़ा क्षेत्र है, इसके बाद मंडी में 24 सीटें और शिमला में 19 सीटें आती हैं। 

शिमला कांग्रेस का, मंडी बीजेपी का गढ़:
परंपरागत रूप से, मंडी भाजपा का मजबूत आधार रहा है जबकि शिमला कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन कांगड़ा क्षेत्र ऐसा है, जहां किसी एक पार्टी की हमेशा जीत नहीं होती रही है। ऐसी धारणा है कि जो भी दल कांगड़ा में जीत दर्ज करेगा, सरकार उसी की बनेगी। कांगड़ा क्षेत्र में कांगड़ा, चंबा और ऊना जिले आते हैं। यहां कांगड़ा जिला, जिसमें 15 विधानसभा क्षेत्र हैं, राज्य में असली किंगमेकर है।   2017 के चुनावों में बीजेपी ने कांगड़ा जिले की 15 में से 11 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ तीन सीट ही जीत सकी थी। कांगड़ा राज्य के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री रहे शांता कुमार का होम टाउन है। पूर्व मुख्यमंत्रियों शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इसी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं।

कांगड़ा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी का अनुमान:
2022 के चुनावों में इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक, कांगड़ा क्षेत्र में कांग्रेस आठ सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है, जबकि बीजेपी छह और अन्य को एक सीट पर जीत मिल सकती है। 2017 में कांग्रेस को सिर्फ फतेहपुर, कांगड़ा और पालमपुर में जीत मिली थी, जबकि इस बार उसे फतेहपुर, जवाली, ज्वालामुखी, नगरोटा, शाहपुर, धर्मशाला, पालमपुर और बैजनाथ में जीत मिलने की उम्मीद जताई गई है। एग्जिट पोल के मुताबिक, नूरपुर, इंदौरा, जसवां-परागपुर, जयसिंहपुर, सुल्ला और कांगड़ा समेत छह सीटों पर भाजपा के जीतने का अनुमान है। देहरा सीट 2017 की तरह ही निर्दलीय उम्मीदवार के पास जा सकती है। 

2017 में क्या थे रुझान और परिणाम:
अगर क्षेत्रवार वोट शेयर देखें तो साफ पता चलता है कि 2012 में कांगड़ा में कांग्रेस पार्टी को बीजेपी से ज्यादा वोट शेयर मिले थे और वह सत्ता में आई थी। इसी तरह के रुझान 2017 में सामने आए थे, जब भाजपा ने कांग्रेस से 8 फीसदी ज्यादा वोट शेयर की बढ़त बनाई थी, और इसके परिणामस्वरूप, भगवा पार्टी ने राज्य में एक बड़ा जनादेश हासिल किया था।

शिमला से भी ज्यादा कांगड़ा में कांग्रेस को वोट?
एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी को कांगड़ा क्षेत्र से अधिकतम वोट हासिल करने की उम्मीद है। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस को कांगड़ा क्षेत्र में 46% वोट मिल सकते हैं, जो राज्य के औसत (44 फीसदी) से दो फीसदी ज्यादा है। पोल के मुताबिक, इस क्षेत्र में बीजेपी को 42 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। 2017 में इस क्षेत्र में बीजेपी को 49 फीसदी वोट मिले थे, सात फीसदी ज्यादा है। एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस का वोट शेयर कांगड़ा में शिमला से भी ज्यादा होने की संभावना है। शिमला कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है।
 

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