September 25, 2024

अडाणी सी-पोर्ट के खिलाफ 130 दिनों से चल रहा प्रदर्शन समाप्त, CM विजयन ने ली राहत की सांस

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 केरल

केरल में विझिंजम बंदरगाह के खिलाफ मछुआरों का 130 दिन से अधिक वक्त तक चलने वाला प्रदर्शन रद्द कर दिया गया है। प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे विकार जनरल यूजीन पेरेरा ने प्रदर्शन रद्द करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन इसलिए रद्द नहीं किया जा रहा है कि वे राज्य सरकार उठाए गए कदमों या उसके द्वारा किए गए वादों से संतुष्ट हैं। इसे इसलिए रद्द किया जा रहा है क्योंकि प्रदर्शन एक निश्चित चरण पर पहुंच गया है और अगर जरूरत पड़ी तो वे फिर से प्रदर्शन शुरू करेंगे।

एक दिन पहले केरल में विभिन्न धार्मिक समूहों के नेताओं ने इलाके में शांति लाने के प्रयासों के तौर पर निर्माणाधीन अडाणी सी-पोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मछुआरा समुदाय से मुलाकात की थी। इस इलाके में हाल में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। बड़ी संख्या में लोग पिछले कुछ महीने से नजदीकी मुलूर में बहु-उद्देशीय सीपोर्ट के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे निर्माण कार्य रोकने और करोड़ों रुपये की परियोजना के संबंध में तटीय असर का अध्ययन कराने समेत सात सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। 

राज्य विधानसभा में हुई गर्मा-गरम बहस
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि आगामी बंदरगाह के तौर पर ग्रोइन का अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण, कृत्रिक समुद्री दीवार बढ़ते तटीय कटाव की मुख्य वजहों में से एक है। वहीं, केरल विधानसभा में मंगलवार को निर्माणाधीन विझिंजम बंदरगाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर गर्मा-गरम बहस हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आशंका जताई कि इस प्रदर्शन को 'बाहरी शक्तियां' नियंत्रित कर रही हैं।

'निर्माण कार्य रोकने की मांग को स्वीकार करना संभव नहीं'
सीएम विजयन ने कहा कि सरकार मुद्दे का कानून के तहत सौहार्द्रपूर्ण समाधान चाहती है। उन्होंने सभी से 140 दिनों से जारी प्रदर्शन को खत्म कराने में सहयोग करने को कहा था। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बुनियादी ढांचे से जुड़ी इस विशाल परियोजना को बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि केरल के विकास के लिए यह जरूरी है। विजयन ने कहा, 'किसी भी परिस्थिति में विझिंजम बंदरगाह का निर्माण कार्य रोकने की अतार्किक मांग को स्वीकार करना संभव नहीं है, बुनियादी ढांचे की यह परियोजना राज्य के विकास के लिए अनिवार्य है। 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।'
 

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