40 साल में पहली बार भाजपा को मिला ऐसा दर्द, सुक्खू दांव से कांग्रेस बढ़ाएगी अनुराग ठाकुर की टेंशन
शिमला
हिमाचल में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही इस बात से संतोष कर रही हो कि कांग्रेस से वह एक फीसदी से भी कम वोट से पिछड़ी, लेकिन कई मोर्चा पर भगवा दल की टेंशन बढ़ गई है। सबसे बड़ा झटका पार्टी को हमीरपुर में लगा है, जहां 40 साल बाद पार्टी साफ हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के 'घर' में भाजपा का शून्य पर आउट होना, पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है। अब कांग्रेस ने हमीरपुर से ही आने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाकर अनुराग ठाकुर का सिरदर्द बढ़ाने की तैयारी की है।
पिछले चार दशक में पहली बार ऐसा हुआ है जब हमीरपुर जिले की सभी पांच सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के लिए यह बड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि हमीरपुर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृहजनपद है। धूमल भले ही इस चुनाव में साइडलाइन रहे हों, लेकिन उनके बेटे अनुराग ठाकुर मोदी सरकार में ताकतवर मंत्री हैं। 1998 में भाजपा ने हमीरपुर की सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी और धूमल मुख्यमंत्री बने थे। 2003, 2007 और 2012 में भी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा। 2017 में भाजपा पांच में से 3 सीटों पर हार गई थी। खुद धूमल भी सुजानपुर सीट पर कांग्रेस के राजिंदर राणा से हार गए थे।
2017 में धूमल परिवार को जो दर्द हमीरपुर ने दिया वह 5 साल बाद कई गुना बढ़ गया है। इस चुनाव में भाजपा को ना सिर्फ गढ़ में करारी हार का सामना करना पड़ा बल्कि हमीरपुर संसदीयक्षेत्र में 17 में से 12 सीटों पर शिकस्त झेलनी पड़ी। पार्टी को ऊना जिले में 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, जोकि हमीरपुर संसीदय क्षेत्र में आता है। हमीरपुर जिले की पांच सीटों के अलावा भाजपा को डेहरा, धरमपुर, चिंतपूर्णी, गागरेट, हरोली, कुटलेहर और घुमारवीं में भी हार का सामना करना पड़ो जोकि अनुराग ठाकुर के संसदीय क्षेत्र में आते हैं। ठाकुर सिर्फ जसवां परागपुर, ऊना, झांडुटा, बिलासपुर और श्री नैना देवीजी में जीत दिलवा सके। पार्टी के सूत्र इस हार के लिए गुटबाजी, उम्मीदवार चयन में गलती और बगावत को जिम्मेदार मानते हैं। बताया जाता है कि हमीरपुर में कार्यकर्ता भी टिकट बंटवारे से संतुष्ट नहीं थे।
सुक्खू-अग्निहोत्री बढ़ाएंगे टेंशन
कांग्रेस पार्टी ने चुनाव में जीत के बाद अनुराग ठाकुर की टेंशन और अधिक बढ़ा दी है। पार्टी ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ठाकुर के इलाके से दिया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2024 से पहले अनुराग ठाकुर की चिंता बढ़ सकती है। कांग्रेस पार्टी हमीरपुर में लगी सेंध को आगे भी बरकरार रखना चाहती है और इसे अपने गढ़ में बदलने में जुट गई है।