2024 से पहले विपक्षी एकता के समर्थन में अखिलेश लेकिन नीतीश, ममता और केसीआर में से किसकी पहल से जुड़ेंगे ?
लखनऊ
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अभी से बिछाई जा रही सियासी बिसात में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी विपक्षी एकता को लेकर अपनी इच्छा जाहिर की है। उन्होंने नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और केसीआर का नाम लिया। सोमवार को पत्नी डिंपल के शपथ ग्रहण के लिए दिल्ली पहुंचे अखिलेश ने नीतीश के 2024 में विपक्षी एकता के बयान पर कहा है कि अच्छी बात है कि नीतीश कुमार जी ने यह बात कही। यही प्रयास सभी नेताओं की तरफ से चल रहे हैं। नीतीश कुमार जी ऐसा काम कर रहे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर साहब वही काम कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने भी कोशिश की। मैं समझता हूं कि यह सब बड़े नेता कोशिश कर रहे हैं तो इसका एक रास्ता निकलेगा।
इस गठबंधन में कांग्रेस शामिल होने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि यह जो लोग प्रयास कर रहे हैं, मुझे लगता है जब ये लोग बैठेंगे तो रास्ता जरूर निकलेगा। अखिलेश ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी से समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत होगी। उन्होंने कहा कि यूपी के साथ धोखा हुआ है। मैनपुरी के नतीजों से साफ है कि जनता ने नकारात्मक राजनीति को ठुकरा दिया है। सपा अध्यक्ष ने कहा-'उत्तर प्रदेश के लोगों को धोखा दिया गया है। उत्तर प्रदेश को समृद्धि और विकास के रास्ते पर होना चाहिए था। पर अब वह कहां है?' फरवरी 2023 में होने वाली उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, 'पांच साल बाद आपको निवेशकों को बुलाना याद आया है? पिछले पांच साल से आप क्या कर रहे थे? केंद्र और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है।' उन्होंने कहा कि महंगाई अपने चरम पर है, बेरोजगारी बढ़ रही है और बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा सभी भारतीयों को दिए गए अधिकारों का हनन हो रहा है।
कौन करेगा विपक्षी एकजुटता का नेतृत्व
बता दें कि विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए नीतीश, केसीआर और ममता बनर्जी तीनों के स्तर पर प्रयास किए गए हैं। हालांकि विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा यह फिलहाल तय नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश जहां नरेन्द्र मोदी को फिर सत्ता में आने से रोकने के अभियान में कांग्रेस की अहम भूमिका मानते हैं वहीं केसीआर फिलहाल कांग्रेस को अलग रखते हुए गैर एनडीए दलों को एकजुट करने की बात कह रहे हैं। जबकि ममता बनर्जी फिलहाल वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाए हुए हैं।
विपक्षी एकता की मुहिम यूपी विधानसभा चुनाव के बाद तब परवान चढ़ती नज़र आई जब बिहार में जेडीयू और आरजेडी का मिलन हुआ। इसके बाद अगस्त में तेलंगाना के मुख्यमंत्री कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात कर विपक्ष की एकता की पहल की। इस मुलाकात में तीनों नेताओं ने 'भाजपा मुक्त भारत' का आह्वान किया लेकिन नेतृत्व का प्रश्न फिलहाल टाल दिया। बताया गया कि विपक्षी एकता की पहली योजना नेतृत्व के सवाल को किनारे रखकर सबसे पहले कांग्रेस के अलावा गैर एनडीए क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने की है। अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद एक बार फिर विपक्षी खेमे में नए सिरे से एकजुटता की कोशिशें शुरू होने की सम्भावना है।
नीतीश कुमार भी अपने स्तर पर विपक्षी एकता की कोशिशों को आगे बढ़ाने की बात कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि विपक्ष को एकजुट करने के लिए वह जल्द ही बिहार से बाहर निकलेंगे। केसीआर के साथ बैठक में उन्होंने कहा था कि अब थर्ड फ्रंट नहीं मेन फ्रंट बनेगा। इस बीच सोमवार को दिल्ली पहुंचे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की ओर से आम चुनाव से पहले मौजूदा सरकार का विकल्प बनाने की कोशिशों पर बात की तो राजनीतिक गलियारों में विपक्षी एकता को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई।
डिंपल ने सोनिया के पैर छुए
सपा नेता और मैनपुरी से नवनिर्वाचित सांसद डिंपल यादव ने सोमवार को लोकसभा सदस्य के तौर पर शपथ ली। उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया।