PPF में इन्वेस्टमेंट से पहले जान लें ये जरूरी बातें, अच्छा रिटर्न पाने की है गारंटी
नई दिल्ली
भविष्य के लिए सेफ इन्वेस्टमेंट के तौर पर पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी PPF इन्वेस्टर की सबसे लोकप्रिय स्कीम में से एक है। कोरोना महामारी के बाद लोग भविष्य के लिए ज्यादा से ज्यादा इमरजेंसी फंड रखने के महत्व को समझ चुके हैं। हालांकि, इसके साथ यह भी जानना जरूरी है कि जहां आप इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं उसके लाभ क्या हैं। यदि आप PPF में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं तो इससे जुड़ी जरूरी बातें को भी जान लें।
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) एक लंबी अवधि के लिए निवेश है। बता दें कि, इसमें 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। यानी कि, PPF अकाउंट में जमा की गई रकम को मैच्योरिटी पर ही निकाला जा सकता है, जो कि 15 वर्ष के लिए होता है। वहीं, ये टाइम पीरियड पूरा होने पर आप 5 साल के लिए और बढ़ा सकते हैं। समय से पहले आप पैसे विड्रॉ नहीं कर सकते, हालांकि आपात स्थिति में ऐसा किया जा सकता है लेकिन उसके लिए आपको कुछ पैसे कभी देने होंगे।
PPF पर ब्याज दर
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) बैलेंस पर ब्याज का कैलकुलेशन हर महीने किया जाता है। इससे मिलने वाला ब्याज राशि हर फाइनेंशियल ईयर के अंतिम में PPF अकाउंट में जमा की जाती है। ब्याज दरों को लेकर सरकार हर तिमाही घोषणा करती है। ब्याज की रकम का कैलकुलेशन हर महीने की 5 तारीख के बाद और महीने के आखिरी दिन तक के सबसे कम PPF बैलेंस पर कर सकते हैं। क्योंकि PPF इन्वेस्टर को हर मंथ की 5 तारीख से पहले अपने PPF खाते में कॉन्ट्रीब्यूशन करने की सलाह दिया जाता है।
इन्वेस्टमेंट की राशि
इन्वेस्टर को PPF अकाउंट में कम से कम 500 रुपए हर साल इन्वेस्टमेंट करना होता है। बता दें कि, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में टैक्स को लेकर कई तरह के फायदे होते हैं। इसलिए यह E-E-E कैटेगरी के अंतर्गत आता है। यानी कि प्रिंसिपल अमाउंट, मैच्योरिटी राशि और मिला हुआ ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है। हालांकि, एक PPF अकाउंट होल्डर्स अपने PPF बैलेंस के बदले लोन भी ले सकता है। इसके लिए शर्त यह है कि इसके तहत खाता खोलने की तारीख से सिर्फ तीसरे साल की शुरुआत और छठे साल के अंत के बीच ही यह लोन लिया जा सकता है। इसके लिए अधिकतम लोन राशि PPF बैलेंस के 25% तक सीमित होता है।