अब ग्वालियर का ‘सफेद पत्थर’ विदेशोें में एक्सपोर्ट होगा, भरेगा सरकार का खजाना
ग्वालियर
सात संमदर पार मध्य प्रदेश के ग्वालियर की जमीन से निकलने वाला ‘सफेद पत्थर’ अब और ज्यादा चमकेगा। इसके लिए ग्वालियर में बिलौआ, मुरार के बाद अब घाटीगांव में माइनिंग का नया क्षेत्र डवलप करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। शिवराज सरकार की बनाई गई एक जिला एक उत्पाद योजना में ग्वालियर को सफेद पत्थर को शामिल किया गया है। लिहाजा इस योजना के बाद अब सोन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र से घाटीगांव क्षेत्र के बाहर किए गए गांवों में पत्थर की तलाश की जाएगी। घाटीगांव क्षेत्र में बड़ी तादात में सफेद पत्थर है। अब तक यह पत्थर अवैध उत्खनन की भेंट चढ़ रहा था, लेकिन माइनिंग के इस नए क्षेत्र के डवलप हो जाने से यही सफेद पत्थर विदेशोें में एक्सपोर्ट होगा और इससे सरकार का खजाना भी मलामाल होगा।
विदेशों में 95 प्रतिशत स्टोन की सप्लाई
ग्वालियर का स्टोन न केवल देश बल्कि विदेशों में भी एक्सपोर्ट होता है। जिले का लगभग 95 प्रतिशत स्टोन की सप्लाई विदेशों में है। यहां का पत्थर देश- विदेशों में भी अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुका है। हर साल करोड़ों रुपए का पत्थर एक्सपोर्ट होता है। एक जिला एक प्रोडक्ट योजना में सफेद पत्थर को शामिल किए जाने के बाद घाटीगांव में नया माइनिंग क्षेत्र डवलप होने से ग्वालियर में पत्थर उद्योग को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा।
जिले में मौजूदा हाल
रेत : सिंध नदी के किनारे पुरानी खदानों में रेत का आकलन करने के साथ ही नई खदानों के प्रस्ताव भी तैयार किए जाएंगे।
काला पत्थर: काले पत्थर की खदानों में क्रैशर आधारित लीज के लिए वर्तमान में डबरा के बिलौआ, सूखा पठा और मुरार के बिजौली, पारसेन आदि गांवों में खदानें हैं। अब घाटीगांव क्षेत्र में नये माइनिंग क्षेत्र के प्रस्ताव तैयार होगा।
सफेद पत्थर: घाटीगांव के वन क्षेत्र से सफेद पत्थर की नई खदाने शुरू करने की तैयारी है। ऐसा होने पर राजस्व में भी अच्छी खासी बढ़ोत्तरी होगी।