हजारों नये उपभोक्ताओं को बिजली महकमा नहीं दे रहा कनेक्शन, ये है वजह
लखनऊ
बिजली निगम हजारों नए उपभोक्ताओं को बिजली का कनेक्शन नहीं दे रहा है। नये मीटर की कमी इसमें बाधा बनी हुई है। पूरे प्रदेश में महज 6378 मीटर ही उपलब्ध हैं जबकि तत्काल 8.3 लाख मीटरों की जरूरत है। हजारों उपभोक्ता ऐसे हैं, जो झटपट पोर्टल पर आवेदन के बाद फीस भी जमा कर चुके हैं लेकिन मीटर के अभाव में उन्हें कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है। मीटर नहीं होने से विभाग की छवि खराब होने के साथ ही करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है।
झटपट पोर्टल पर 47 हजार से अधिक आवेदन लंबित
21 दिसंबर 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक इस तिथि तक कुल 6378 मीटर ही बिजली कंपनियों के पास उपलब्ध थे। कनेक्शन देने के लिए झटपट प्लेटफार्म पर 47044 आवेदन लंबित थे। इनमें से 24270 आवेदकों ने कनेक्शन के लिए धनराशि जमा कर दिए थे। 22763 आवेदकों द्वारा जैसे ही धनराशि जमा कर दी जाएगी वह कनेक्शन पाने का दबाव डालने लगेंगे। इतना ही नहीं शहरी क्षेत्रों में इस तिथि तक 15751 उपभोक्ताओं के परिसर में लगे मीटर तीन महीने और उससे अधिक समय से खराब थे। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खराब मीटरों की तादाद 766648 थी। इस प्रकार करीब 8.3 लाख मीटर की तत्काल जरूरत है।
विभाग को हर महीने 23.95 करोड़ का नुकसान
24270 उपभोक्ता जिन्होंने कनेक्शन के लिए पैसा जमा कर दिया है, उनको कनेक्शन नहीं दिए जाने से यदि प्रति उपभोक्ता 100 यूनिट पांच रुपये प्रति यूनिट की दर से नुकसान को जोड़ा जाए तो यह 1.20 करोड़ रुपये प्रति माह जाता है। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों के वे उपभोक्ता जिनके मीटर बदले जाने हैं, मीटर नहीं बदले जाने से 1.29 करोड़ रुपये प्रति माह और ग्रामीण क्षेत्रों में खराब मीटरों की वजह से 21.46 करोड़ रुपये प्रति माह राजस्व नुकसान अनुमानित किया गया है। यानी तीनों मामलों में विभाग को प्रति माह 23.95 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। विभाग को जो नुकसान हो रहा है वह अलग है, इसकी वजह से सबसे अधिक परेशान आम लोग हैं, जिन्हें सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद भी कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है।
मीटर की कमी रहने तक समीक्षा और कार्यवाहियों पर रोक की मांग
उपरोक्त आंकड़ों का जिक्र करते हुए उ.प्र. राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता को पत्र लिखा है। जिसमें मीटर की कमी के कारण हो रहे राजस्व नुकसान के लिए प्रबंधन स्तर पर उत्तरदायित्व निर्धारित करने, मीटर जब तक उपलब्ध नहीं हो जाते हैं तब तक समीक्षा, वीडियो कांफ्रेंसिंग, पोर्टल पर लंबित आवेदनों को शून्य करने, वेतन से कटौती करने और अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने जैसे निर्देश नहीं दिए जाने का अनुरोध किया है। इस तरह की कार्यवाहियों से इंजीनियर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।