November 26, 2024

हिन्द महासागर में नहीं चलेगी चीन की दादागिरी, नजर रखने को अहम है कैंपबेल बे; समझिए कैसे

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 नई दिल्ली 

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में कैंपबेल बे (खाड़ी) सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भारत यहां अपनी रक्षा तैयारियों को तेजी से मजबूत कर रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो यहां से हिंद महासागर में चीनी पोतों की आवाजाही पर पैनी निगाह रखी जा सकती है। क्योंकि, यह स्थान शिपिंग चैनल के बेहद निकट है, जिसके जरिए सिंगापुर से पश्चिम तक का समस्त समुद्री माल ढोया जाता होता है। इसलिए क्षेत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रक्षा तैयारियों की समीक्षा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रक्षा सूत्रों ने कहा कि कैंपबेल बे और इंदिरा प्वाइंट सिक्स डिग्री शिपिंग चैनल के उत्तर की तरफ है, जिसके माध्यम से सिंगापुर (मलक्का) से पश्चिम तक का सभी शिपिंग ट्रैफिक गुजरता है। इसमें 80 फीसदी से अधिक चीनी शिप शामिल बताए जाते हैं। इसलिए यह स्थान इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बिंदु बनाता है। दरअसल, हिंद महासागर में चीनी पोतों की आवाजाही हमेशा शंका पैदा करती रही है।

हिंद महासागर में भारत की निगरानी और पहुंच बढ़ेगी
कैंपबेल बे भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के निकोबार जिले का एक गांव है। यह ग्रेट निकोबार तहसील में है। द्वीप का इंदिरा प्वाइंट भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु होने के लिए प्रसिद्ध है। कैंपबेल बे में एयरफील्ड है, जिसे और विकसित करने पर काम चल रहा है। इससे हिंद महासागर में भारत की निगरानी और पहुंच बढ़ेगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस एयरफील्ड का और विस्तार होने से आने वाले दिनों में हिंद महासागर में भारत की वायु रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री की एक्ट ईस्ट नीति और सागर नीतियों के लिहाज से भी यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण है। यह इंडोनेशिया से महज 166 समुद्री मील की दूरी पर है। यह समुद्र क्षेत्र में हमारे विशेष आर्थिक जोन को भी विस्तारित करता है। गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली द्वीप विकास एजेंसी के विजन के अनुसार, कैंपबेल बे भारत और पड़ोसी देशों के लिए एक प्रमुख ट्रांस-शिपमेंट हब बन रहा है, जहां पूर्व-पश्चिम शिपिंग मुख्य मार्ग से कंटेनरों को आसानी से ट्रांस-शिप कर सकता है।

थियेटर कमान के गठन जल्द होने के असार
यहां बता दें कि अंडमान निकोबार द्वीप में देश की एकीकृत रक्षा कमान भी है। यानी वह थल, जल और वायु सेना की एक संयुक्त कमान है, जो 21 सालों से काम कर रही है। एक प्रकार से यह थियेटर कमान के रूप में ही काम कर रही है, जिसकी परिकल्पना अभी की जा रही है। समझा जाता है कि सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान संयुक्त कमान के कामकाज को भी समझा है। इससे नई थियेटर कमान के गठन की प्रक्रिया भी आने वाले दिनों में तेज हो सकती है।

ये फायदे भी होंगे
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस यात्रा से वहां तैनात सैन्यकर्मी भी प्रेरित होंगे। साथ ही अंडमान और निकोबार के नागरिक प्रशासन को रणनीतिक महत्व को समझने में मदद मिलेगी। लंबे समय से लंबित मामलों के हल के लिए नई गति भी मिलेगी।
 

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