मेयर चुनाव में BJP की ‘बाजीगर’ वाली चाह, क्या AAP का मुश्किल कर पाएगी राह; क्या है गणित
नई दिल्ली
दिल्ली में एमसीडी चुनाव खत्म हुए करीब 50 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मेयर नहीं मिल पाया है। 6 जनवरी को मेयर चुनाव से पहले शपथ ग्रहण के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पार्षदों के बीच हुई मारपीट के बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था। मंगलवार को एक बार फिर एमसीडी की बैठक बुलाई गई है। पार्षदों के शपथ ग्रहण के बाद आज मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव हो सकता है। चुनाव में 'आप' के मुकाबले पिछड़ गई भाजपा हार के बावजूद जीतकर बाजागीर बनना चाहेगी। वहीं, अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली पार्टी सभी पदों पर आसान जीत का दावा तो कर रही है लेकिन उलटफेर की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।
दिल्ली के तीन निगमों के एकीकरण के बाद 250 वार्डों पर हुए चुनाव में 'आप' ने सर्वाधिक 134 वार्डों में जीत हासिल की। वहीं, भाजपा ने 104 वार्ड पर कब्जा किया था। कांग्रेस पार्टी को महज 9 वार्ड में जीत मिली तो 3 वार्ड में निर्दलीय जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। एक निर्दलीय पार्षद के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद भगवा कैंप के कुल 105 पार्षद हो गए हैं। चुनाव प्रक्रिया में इन पार्षदों के अलावा दिल्ली के 7 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद भी हिस्सा लेंगे। दिल्ली में लोकसभा के सभी सांसद भाजपा के हैं और राज्यसभा सांसद आप के हैं। इनके अलावा विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नामित 14 विधायकों में 13 'आप' और एक भाजपा का है। उपराज्यपाल की ओर से नामित 10 एल्डरमैन वोटिंग में हिस्सा लेंगे या नहीं, इसको लेकर अभी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है।
क्रॉस वोटिंग से बिगड़ सकता है खेल
वोट गणित में 'आप' भगवा दल से काफी आगे दिख रही है। हालांकि, एमसीडी में वोटिंग सीक्रेट बैलेट से होती है और दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है। इस वजह से किसी भी दल का पार्षद किसी भी प्रत्याशी को वोट कर सकता है। इसी नियम की वजह से क्रॉस वोटिंग की आशंका रहती है और किसी भी दल का खेल बिगड़ सकता है। मेयर और डिप्टी मेयर पद पर 'आप' की जीत आसान मानी जा रही है। भाजपा की कोशिश स्टैंडिग कमिटी मेंबर के अधिक पदों पर कब्जे की होगी।