September 23, 2024

किस प्‍लान पर काम रहे स्‍वामी? रामचरित मानस विवाद पर तेवर हुए और सख्‍त; अब इन्‍हें कहा आतंकवादी 

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लखनऊ 
 रामचरित मानस पर विवादित टिप्‍पणी करने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य अपने स्‍टैंड पर लगातार कायम हैं। यही नहीं इस बीच उन्‍होंने खुद पर हमला करने वालों के खिलाफ एक और हड़कंप मचा देने वाला बयान दिया है। उन्‍होंने कहा कि जब कोई गर्दन काटने या जीभ काटने का बयान देता है तो उसे आतंकवादी कहा जाता है। जो बयान दे रहे हैं उनका चरित्र भी आतंकवादी, महाशैतान और जल्‍लाद जैसा है।

स्‍वामी प्रसाद मौर्य के ऐसे बयानों से राजनीतिक गलियारों में अब इस बात की अटकलें लगने लगी हैं कि क्‍या मौर्य किसी नए राजनीतिक प्‍लान पर काम कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मौर्य रामचरित मानस पर बोलते-बोलते अब दलित-पिछड़ा बनाम ब्राह्रमणवाद-मनुवाद की बहस का बहाना बनने लगे हैं। अपनी पार्टी (समाजवादी पार्टी) के पल्‍ला झाड़ लेने के बाद भी वह फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्‍या स्‍वामी किसी नए प्‍लान पर काम कर रहे हैं? 

इस बीच वह लगातार बीजेपी, संत समाज और कई अन्‍य संगठनों के निशाने पर हैं लेकिन उन्‍होंने अपना रुख नहीं बदला है। हालांकि उनकी बेटी और बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने जरूर कहा है मेरे पिता ने रामचरित मानस की महज एक ऐसी चौपाई पर सवाल उठाया जो श्रीराम के चरित्र से मेल नहीं खाती। इस पर बहस नहीं विश्‍लेषण होना चाहिए। लेकिन स्‍वामी लगातार हमलों का जवाब हमलों से दे रहे हैं। उनका यह रुख समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहा है क्‍योंकि बीजेपी ने स्‍वामी के बहाने पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव पर टारगेट पर ले रखा है। जबकि अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव से लेकर सपा के कई नेता-विधायक स्‍वामी के बायन से पल्‍ला झाड़ चुके हैं। अखिलेश यादव ने कहा है कि हम सभी धर्मों और संतों का सम्मान और आदर करते हैं। हालांकि वह खुलकर न तो स्‍वामी के बयान के विरोध में बोल पा रहे हैं और न ही उसका समर्थन कर पा रहे हैं। ऐसे में राजनीति गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्‍या स्‍वामी प्रसाद एक बार फिर बसपा या राजनीति की किसी दूसरी राह पर कदम बढ़ा सकते हैं। 

स्‍वामी के बयान पर सपा में उभरे विरोध के स्‍वरों से इस चर्चा को बल मिल रहा है। अब तक सपा के किसी भी बड़े नेता ने स्‍वामी के बयान का बचाव या समर्थन नहीं किया है। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता रविदास मेहरोत्रा ने तो इसे स्‍वामी का निजी बयान बताते हुए यहां तक कह दिया कि उन्‍होंने 'अज्ञानवश' मानस की चौपाई की गलत व्‍याख्‍या की है। राजनीतिक जानकारों का कहना है स्‍वामी के बयान से पशोपेश में पड़े अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की समस्‍या यह है कि यदि वे इसका विरोध करते हैं तो मुस्लिम समीकरण प्रभावित होने का डर है और यदि समर्थन करते हैं तो हिंदू वोटों का नुकसान तय है।
 

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