November 24, 2024

बिहार में अन्नदाता बेहाल, आमदनी के मामले में 28 वें पायदान पर

0

पटना
 हमारे विभाग में कई चोर लोग हैं। हम उन चोरों के सरदार हैं। हमारे ऊपर भी और कई सरदार मौजूद हैं। ये वही पुरानी सरकार है। इसके चाल चलन पुराने हैं। हम लोग तो कहीं-कहीं हैं। लेकिन जनता को लगातार सरकार को आगाह करना होगा। आप अगर पुतला फूंकते रहिएगा तो मुझे याद रहेगा कि किसान मुझसे नाराज हैं। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो मुझे लगेगा सब कुछ ठीक चल रहा है। लोहिया जी ने ठीक कहा था कि जब संसद हमारा होगा तो लोगों को सड़क पर उतरना चाहिए। हम ही अकेले सरदार नहीं है हमारे ऊपर भी कई लोग हैं। जब हम बोलते हैं तो उन्हें लगता है कि अपनी बात बोल रहे हैं। अगर कैबिनेट में अकेले बोलता हूं तो उन्हें लगता है कि इनकी अपनी समस्या है। उपरोक्त बयान कृषि मंत्री की शपथ लेने के बाद तुरंत सुधाकर सिंह ने दिया था। उसके बाद उन्होंने मीडिया को ये भी बताया कि वे अपने इस बयान पर कायम हैं और कायम रहेंगे। क्या आपको इस बयाने के आईने में बिहार के किसानों की वर्तमान स्थिति दिखती है। यदि जवाब हां होगा, तो बिल्कुल सही है। क्योंकि हम जो आपको रिपोर्ट देने जा रहे हैं। उसमें बिहार के किसानों की स्थिति बिल्कुल दयनीय बनी हुई है। बिहार के किसान देश के 27 राज्यों के किसानों से पीछे हैं। सवाल सबसे बड़ा है कि आखिर हर साल बिहार में करोड़ों की लागत से जमीन पर उतरने वाला कृषि रोड मैप महज छलावा है? क्या सुधाकर सिंह की बात पूरी तरह सही है?

किसानों को लेकर ताजा आंकड़े
देश में किसानों की परिस्थिति पर ताजा आंकड़े सामने आए हैं। ये आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। बिहार के किसान परिवार की स्थिति इतनी खराब है कि ये देश के 27 राज्यों से पीछे हैं। झारखंड की स्थिति तो और भी दयनीय है। देश के किसानों के परिवार की आय की बात करें, तो प्रति परिवार मासिक आय 10 हजार 218 रुपये हैं। भारत के मेघालय में किसानों की औसत मासिक आय 29 हजार रुपये के साथ पहले स्थान पर है। उसके बाद पंजाब की आय 26 हजार 70 रुपये दूसरे स्थान पर है। हरियाणा 22 हजार को क्रास कर चुका है। झारखंड 4 हजार 895 रुपये के मासिक आय के साथ सबसे नीचे है। ओडिशा की स्थिति झारखंड से बेहतर है। ओडिशा के किसानों की औसत मासिक आय 5 हजार 112 रुपये प्रति परिवार है। पश्चिम बंगाल में स्थिति कुछ ज्यादा बेहतर नहीं है। वहां के किसानों की औसत मासिक आय प्रति परिवार 6 हजार 762 रुपये है। बिहार की स्थिति इतनी खराब है कि बिहार 28 वें स्थान पर पहुंचा हुआ है। यहां के किसानों की औसत मासिक आय हर महीने 7 हजार 542 रुपये आमद करता है।

बिहार के किसानों की स्थिति खराब
बिहार के किसानों की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि किसान प्राकृतिक परिस्थितियों पर निर्भर रहते हैं। किसानों के कल्याण के दावे जरूर किये जाते हैं। स्थिति बिल्कुल भी बदलती नहीं है। बिहार में खेती के लिए बैंक से कर्ज लेने वाले किसानों का मूलधन कभी माफ नहीं किया जाता है। सूद को 90 फीसदी तक सरकारें माफ कर देती हैं। कई बार कैंप लगाकर सेटलमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाती है। राज्य के सहकारी बैंक में वर्ष 2022-2023 में 3 हजार 274 किसान ग्रुप और किसानों ने 24 करोड़ 33 लाख रुपये जमा किया। इस दौरान कुल 5 करोड़ सूद माफ किया गया। बिहार में प्राकृतिक आपदा आने के बाद या अतिवृष्टि से बरबादी होने के बाद फसल नुकसान की भरपाई करने का प्रावधान है। इसमें ये सुविधा है कि यदि किसान के खेत में नुकसान एक फीसदी भी हुआ है। तो किसानों को साढ़े सात हजार और 20 फीसदी से अधिक बर्बादी होने पर 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर भुगतान किया जाता है।

टैक्स स्लैब बदले
अब हम परिस्थितियों को नौकरीपेशा लोगों से जोड़कर देखते हैं। इसमें लोगों की सबसे बड़ी चिंता टैक्स चुकाने को लेकर होती है। बैंक बाजार डॉट कॉम की रिपोर्ट बताती है कि पांच लाख से अधिक आय वाले टैक्स स्लैब आखिरी बार 2013-14 में बदल दिये गये थे। इस बीच देश में महंगाई पूरी तरह 50.45 फीसदी बढ़ चुकी है। ज्यादातर नौकरीपेशा लोगों का काम पर्सनल लोन से चल रहा है। बैंक इसका फायदा उठा रहे हैं। लोगों से मनमाने सूद वसूल रहे हैं। कुल मिलाकर जो चीजें 2013-14 में 50 रुपये की मिलती थी। अब उसकी कीमत 100 रुपये 45 पैसे के करीब पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई की स्थिति और आयकर भुगतान की तुलना के बाद बताया गया है कि पांच लाख से अधिक कमाने वाले को अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। उसकी परिस्थितियों के बारे में कोई नहीं सोच रहा है। रिपोर्ट ने ये बताया है कि ज्यादा लोगों ने पुराने टैक्स व्यवस्था को चुन रखा है। केंद्र सरकार को ये टैक्स स्लैब बदलना चाहिए। बीस फीसदी की ऊपरी सीमा 10 लाख से बढ़कर 15 लाख की जानी चाहिए। 80सी कटौती की सीमा को भी ज्यादा कर 2014 में 1.5 लाख की गई थी। जिसे समय के मुताबिक बदलकर 2 लाख रुपये कर देनी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed