DPI कमिश्नर बचा रहे शिक्षिकाओं को प्रताड़ित करने वाले प्रिंसिपल को
भोपाल
बैरागढ़ के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक स्कूल में दो महिला शिक्षिकाओं को प्रिंसिपल ने प्रताड़ित कर नियम विरुद्ध संस्था से बाहर कर दिया। रमेश चंद्र वर्मा ने सभी अधिकारों को हाशिए पर रख स्कूल से डीईओ कार्यालय के लिए रिलीव कर दिया है।
यह राजधानी का पहला ऐसा मामला है, जिसमें प्राचार्य स्वयं रिलीव आॅर्डर किए हैं। प्राचार्य से प्रताड़ित महिला जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंची, तो उन्होंने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिख प्राचार्य को निलंबित करने का प्रस्ताव भेजा। डीपीआई कमिश्नर अभय वर्मा प्राचार्य पर कोई कार्रवाई नहीं कर सके हैं। जबकि मुख्यामंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं के साथ हो रहे प्रताड़ना को लेकर चिंतित हैं। यहां तक उन्होंने हरेक विभाग में महिलाओं का सुरक्षा देने के लिए सेल गठित की हुई है। इसके बाद भी कमिश्नर प्रिंसिपल को सिर्फ शोकॉज नोटिस देकर मामला दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
डीईओ के बुलाने पर नहीं पहुंचे प्रिंसिपल
महिलाओं को प्रताड़ित करने का मामला और शासकीय पत्र में विवेकहीन शब्दावली का प्रयोग करने पर जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने प्राचार्य को अपने कार्यालय बुलाकर नोटिस का जवाब देने को कहा था, लेकिन प्रिंसिपल लगातार जिला शिक्षा अधिकारी से मिलने से बचते रहे। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी डीईओ कार्यालय से प्रिंसिपल की कार्यप्रणाली को लेकर नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जिनका आज तक प्रिंसिपल ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके चलते प्राचार्य एक और टीचर को संस्था से रिलीव कर दिया है। प्राचार्य द्वारा लगातार नियमों की अवहेलना करने के मामले में डीपीआई का कोई एक्शन ना लेना कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है।
प्राचार्य को नहीं है टीचर को रिलीव करने का पावर
स्थापित पदों में बदलाव करने का अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी को है। किसी टीचर को संस्था से हटाने या रिलीव करने संबंधी पत्राचार प्राचार्य को डीईओ से करना होता है। एक संस्था से दूसरी संस्था में रिलीव और स्थानांतरण का पॉवर डीईओ को है। इसके बाद भी प्राचार्य रमेश चंद्र वर्मा ने डीईओ के अधिकारों का हनन कर शिक्षकों को रिलीव किया है। जबकि वर्तमान में स्थानांतरण पर बैन लगा हुआ है।