बढ़ती ठंड के कारण बच्चों में बेल्स पाल्सी का खतरा बढ़ा
भोपाल
बढ़ती ठंड के कारण बच्चों में बेल्स पाल्सी का खतरा बढ़ रहा है। शहर के सरकारी अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार इसके 5 से 6 केस हर महीने सामने आ रहे हैं। ठंड के मौसम में सर्दी खासी जैसे वायरल बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है । साथ ही साथ इंसान के कान से दिमागी नसें गुजरती हैं और ठंड और सर्द मौसम की वजह से उसमें सूजन आ जाती है जिससे नस गुजरती है और इससे चेहरे का पैरालिसिस होने का खतरा होता है। आम तौर पर यह बीमारी किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकती है पर सबसे अधिक खतरा बच्चों को होता है। बेल्स पाल्सी एक ऐसी स्थिति है जो चेहरे की मांसपेशियों में अस्थायी कमजोरी के कारण बनती है। यह तब हो सकता है जेपी अस्तपाल में आए 13 साल के आशीष को करीब 15 दिन पहले बुखार व जुकाम हुआ। घर के पास के एक डॉक्टर ने वायरल की दवा लिखी। दो दिन बाद कान में दर्द हुआ। बोलने में कठिनाई होने लगी। अगले दिन चेहरा एक तरफ से तिरछा होने लगा। परिजन उसे लेकर जेपी अस्पताल आए। डॉक्टरों ने चेहरे का लकवा होने की बात कही। 12 साल के हर्षित का इलाज भी पिछले तीन दिन से चल रहा है।
यह हैं लक्षण
- चेहरे का एक तरफ का हिस्सा मुरझाया व लटका हो
- खाने व पीने में कठिनाई हो
- एक तरफ से ही हंस पा रहा हो
- कान व सिर में दर्द हो
- आंखों में जलन
यह है उपाए
- चेहरे की मालिश व एक्सरसाइज
- गुब्बारा फुलाना
- ओम का उच्चारण करना
- आंख में चश्मा लगाना
- कान व सिर को ठंड से बचाने के लिए टोपी पहनना
- चेहरे की सिकाई
ओपीडी में हर रोज बेल्स पॉल्सी यानी चेहरे के लकवे से पीड़ित हर उम्र के मरीज आ रहे हैं। यदि मरीज बीमारी की चपेट में आने के 48 घंटे (गोल्डन पीरियड) के अंदर आ जाते हैं, तो इस बीमारी के स्थाई असर से मरीज को बचाया जा सकता है। मगर समय पर इलाज न मिले तो यह गंभीर परिणाम भी दे सकता है।
डा. आईडी चौरसिया, न्यूरो सर्जन, हमीदिया अस्पताल