शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड के पुराने कामों की जांच संभव, संपत्तियों से होती है अरबों की आमदनी
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में पिछले डेढ़ दशक के दौरान वक्फ सम्पत्तियों पर हुए अवैध कब्जों, नियमों का उल्लंखन कर जमीनों की हुई खरीफ-फरोख्त की अब जांच होगी। एमएलसी और पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा द्वारा पिछले साल 17 दिसम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर लिखित तौर पर शिकायत की गई थी।
इसके बाद बीती तीन फरवरी को प्रदेश सरकार के संयुक्त सचिव गुलाब की ओर से एक पत्र जारी कर मोहसिन रजा को सूचित किया गया है कि उनके द्वारा की गई शिकायत पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
विभाग द्वारा की जाने वाली इस जांच के दायरे में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेन्द्र त्यागी, पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खां और सुन्नी वक्फ बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन जुफर फारूकी आ सकते हैं क्योंकि ज्यादातर शिकायतें इन्हीं लोगों के कार्यकाल की ही हैं। वसीम रिजवी उर्फ जितेन्द्र त्यागी के खिलाफ ऐसे ही एक मामले में सीबीआई जांच चल भी रही है। आजम खान ने रामपुर में कई वक्फ सम्पत्तियों पर अवैध कब्जे करवाए और फिर उन सम्पत्तियों को मौजूदा भाजपा सरकार ने मुक्त भी करवाया।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि बोर्ड अपने कर्तव्य का पालन वक्फ अधिनियम के प्रावधानों के अधीन करने में पूर्णता समर्थ हैं एवं अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। एमएलसी मोहसिन रजा ने मुख्यमंत्री से अपने पत्र में उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड में किसी उच्च अधिकारी को प्रशासक नियुक्त करने की स़िफारिश भी की थी।