November 26, 2024

6 महीने पहले मिला शांति का नोबेल, अब मिली 10 साल की जेल, जानिए बिलित्स्की से क्यों डरती है बेलारूस सरकार?

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बेलारूस

बेलारूस की एक अदालत ने शुक्रवार को शीर्ष मानवाधिकार अधिवक्ता और 2022 के नोबेल शांति पुरस्कार के विजेताओं में से एक एलेस बिलित्स्की को 10 साल की जेल की सजा सुनाई है। उनके अलावा 3 अन्य लोगों को भी सरकार के खिलाफ सार्वजनिक व्यवस्था का उल्लंघन करने और हिंसक गतिविधियों के लिए फंडिंग करने के आरोप में सजा सुनाई गई है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वैलेंटिन स्टेफनोविच को 9 साल, उलादजिमिर लबकोविक्ज को 7 साल और दिमित्री सलौउ को 8 आठ साल की जेल की सजा सुनाई गई है।

राष्ट्रपति की तानाशाही का कर रहे थे विरोध
एलेस बिलित्स्की और उनके 2 सहयोगियों को साल 2020 में हुए प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान दिमित्री सलौउ गिरफ्तारी से बचकर देश छोड़कर भागने में सफल रहे। ये बेलारूस में अलेक्जेंडर लुकाशेंको के राष्ट्रपति बनने का विरोध कर रहे थे। लुकाशेंको साल 1994 से राष्ट्रपति हैं। उन पर आरोप हैं कि वो गैर-कानूनी तरीकों से विपक्ष को कमजोर कर बार-बार सत्ता में आते हैं। पिछले साल 2022 में नोबेल समिति ने बिलित्स्की को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था। उनके अलावा यह पुरस्कार दो संगठनों रसियन ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल (Memorial) और सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज (Center for civil Liberties) को मिला था।

स्वस्थ लोकतंत्र बहाल करने की मांग
एलिस बिलित्स्की का जन्म 5 सितंबर, 1962 को रूस के करेलिया के व्यार्त्सिल्या में हुआ था। बिलित्स्की 1980 के दशक में बेलारूस में तानाशाही के खिलाफ उभरे लोकतांत्रिक आंदोलन शुरू करने वाले लोगों में से एक थे। वे अपने ही देश में स्वस्थ लोकतंत्र को बहाल करने की जंग लड़ रहे हैं। एलिस ने अपना जीवन अपने देश में लोकतंत्र और शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया है। बिलित्स्की ने 1996 में विसाना जिसका हिन्दी में शाब्दिक अर्थ वसंत है, की स्थापना की। विसाना एक मानवाधिकार संगठन के रूप में विकसित हुआ है जो जेल में बंद राजनीतिक कैदियों और लोकतांत्रिक समर्थकों को कानूनी मदद मुहैया कराती है।

पुतिन के करीबी हैं लुकाशेंको
बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको हैं जो एलिस बिलित्स्की को पसंद नहीं करते। एलिस बिलित्स्की 2011 में कैद किया गया था। तीन साल के बाद 2014 में उन्हें रिहा कर दिया गया। जिस लुकाशैंको की सत्ता को चुनौती देने के कारण बिलित्स्की को सजा मिली है वे रूसी राष्ट्रपति पुतिन के करीबी माने जाते हैं। यूक्रेन जंग में भी वो रूस का खुलकर साथ दे रहे हैं। लुकाशैंको पर आरोप हैं कि उन्होंने अब तक 35,000 से अधिक विरोधियों के जेल भिजवा दिया है। लुकाशैंको यूरोप के आखिरी तानाशाह के तौर पर काफी फेमस हैं।

मानवाधिकार संगठनों ने जताई हैरानी
देश के बाहर रह रही विपक्ष की नेता स्वीतलाना ने एलेस को मिली सजा को शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि बिलित्स्की को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कोशिश की जानी चाहिए। नार्वेजियन हेलसिंकी समिति नामक की एक गैर-सरकारी संगठन जो यह सुनिश्चित करने के लिए काम करती है कि जेल में बंद लोगों संग व्यवहार में मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए ने कहा कि वे सरकार के इस सनक भरे फैसले से हैरान हैं।

 

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