November 26, 2024

खुलासा: प्रदेश के बाँधो की स्थिति चिंताजनक, 63 रास्तों से पानी का बवंडर आने की आशंका

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 भोपाल.

मध्य प्रदेश पानी के प्रलय पर बैठा हुआ है। राज्य के कई ऐसे डैम हैं जिनकी स्थिति चिंताजनक है। प्रदेश के 63 से ज्यादा ऐसे डैम हैं जो 100 साल की अवधि को पूरा कर चुका है। बता दें कि आमतौर पर डैम का निर्माण 100 सालों के लिए किया जाता है। हाल ही में धार जिले के कारण नदी पर बने डैम में दरार आ गई थी जिसके बाद पानी रिसने लगा था। दरअसल, संसदीय पैनल ने एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के 63 डैम 100 साल से ज्यादा के अवधि के हो गए हैं और उन्हें बंद करने की भी सिफारिश की गई है।

संसदीय पैनल ने देश में पुराने डैम की सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट की है। संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में 234 बड़े कार्यात्मक बड़े हैं जो 100 साल से अधिक पुराने हैं। उनमें से कुछ 300 साल से भी अधिक पुराने हैं। रिपोर्ट भारत में अब तक कोई भी डैम बंद नहीं किया गया है। संसदीय पैनल ने 20 मार्च को संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में कई बातों का जिक्र किया गया है।

छोटे-बड़े बांध कर चुके हैं सौ साल पूरे
मध्यप्रदेश के 63 छोटे-बड़े डैमों की अवधि 100 साल से ज्यादा है। हालांकि इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि कौन-कौन से ऐसे डैम हैं जो सौ साल से ज्यादा की अवधि को पूरा कर चुके हैं। अगर डैमों की बात करें तो एमपी में कई ऐसे डैम हैं जो राज्य के लिए उपयोगी माने जाते हैं।

8 महीने पहले कारम डैम में आ गई थी दरार
बता दें कि हाल ही में धार जिले के कारम नदी पर बना डैम में दरार आ गई थी। मिट्टी के इस डैम से पानी रिसने लगा था। डैम को फटने से बचाने के लिए सेना ने मोर्चा संभाला था। बरसात के दिनों में राज्य के ज्यादातर डैमों में क्षमता से ज्यादा पानी आने के कारण भी डैम के फटने का डर बना रहता है। हालांकि डैमों को लेकर राज्य के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा था कि मध्यप्रदेश के सभी डैम पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

1916 में बना था तिघरा डैम
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में बना तिघरा डैम को राज्य के सबसे पुराने डैम होने का दावा किया जाता है। यह डैम करीब 24 मीटर ऊंचा और 1341 मीटर लंबा है। तिघरा डैम का निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इस डैम के निर्माण का काम 1916 में सांक नदी पर शुरू किया गया था। इसके अलावा मुरैना जिले में पगारा डैम भी काफी पुराना है। पालकमती डैम का निर्माण भी 1940 के करीब हुआ था।

एमपी के प्रमुख डैम कौन-कौन से हैं
इंदिरा सागर डैम, ओंकारेश्वर डैम, तिघरा डैम, तवा डैम, बरगी डैम, बारना डैम और बकिया बैराज डैम की गिनती राज्य के प्रमुख डैमों में होती है। इन डैमों के माध्यम से राज्य में कई सिंचाई परियोजना के साथ-साथ बिजली उत्पादन का भी काम हो रहा है।

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