बुर्किना फासो में नहीं थम रही हिंसा, 40 सैनिकों की मौत
डकार
बुर्किना फासो के उत्तरी भाग में बंदूकधारियों के हमले में बुर्किना फासो के सुरक्षा बलों के कम से कम 40 सदस्य मारे गए और 33 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उत्तरी क्षेत्र के महासचिव कौइल्गा अल्बर्ट जोंगो ने एक बयान में कहा कि छह सैनिक और सेना की सहायता करने वाले 34 स्वयंसेवी नागरिक शनिवार अपराह्न ओआहिगौया शहर के पास मारे गए। उन्होंने कहा कि 33 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी हालत स्थिर है।
हिंसा के पीछे अलकायदा और इस्लामिक स्टेट
यह हमला अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े संघर्ष-ग्रस्त देश में बढ़ती हिंसा के बीच हुआ है। देश में हमलों की घटनाओं में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 20 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। इस महीने की शुरुआत में इस्लामिक चरमपंथियों ने देश के उत्तरी भाग में कई हमलों में कम से कम 44 लोगों की जान ले ली थी।
8 साल के हिंसा की आग में जूझ रहा बुर्किना फासो
बुर्किना फासो में ताजा हमला उत्तर में कौरकौ और तोंडोबी के गांवों में बंदूकधारियों द्वारा 44 लोगों की हत्या के नौ दिन बाद हुआ है। स्थानीय सरकार आम नागरिकों को सुरक्षाबलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि हिंसा पर नियंत्रण पाया जा सके। बुर्किना फासो पिछले आठ साल से आतंकवाद और गृह युद्ध की आग में जल रहा है। इस दौरान हमलों में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, जबकि लाखों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर बाहर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
बुर्किना फासो में हिंसा क्यों हो रही
बुर्किना फासो में पिछले साल सेना ने दो बार तख्तापलट किया था। सेना फिर धमकी दे रही है कि वह देश का नियंत्रण अपने पास ले लेगी। यह पूरा क्षेत्र 2012 से हिंसा से ग्रस्त है। इसकी शुरुआत माली में कट्टरपंथी इस्लामी समूह के तुआरेग अलगाववादी विद्रोह के बाद हुई थी। हिंसा बाद में पड़ोसी बुर्किना फासो और नाइजर में फैल गई और पूरे इलाके को अस्थिर कर दिया।